Kailash Mansarovar: कैलाश मानसरोवर हिंदू धर्म के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थान है। यह पवित्रता का प्रतीक है और इसे भगवान शिव का निवास माना जाता है।
कैलाश पर्वत वह स्थान है जहां भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते हैं। हिंदू धर्म के साथ साथ जैन धर्म और तिब्बतियों के बीच भी कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है।
कैलाश पर्वत समुद्र तल से 22,028 फीट ऊंचा पत्थर का एक पिरामिड जैसा है, जिसका शिखर शिवलिंग के जैसा दिखाई देता है।
यह साल भर बर्फ की सफेद चादर से ढका रहता है। 22,028 फुट ऊंचे बर्फ से ढके शिखर और उससे लगे मानसरोवर को कैलाश मानसरोवर कहते हैं।
यह माना जाता है कि यह पर्वत स्वयंभू है और कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन यह समस्त सृष्टि है।
इस अद्भुत और अलौकिक जगह को लेकर कहा जाता है कि यहां पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ॐ की प्रतिध्वनि करता है।
क्या है धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की ये जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से भगवान विष्णु के चरण कमलों से निकलकर गंगा नदी कैलाश पर्वत की चोटी पर विकराल वेग के साथ गिरती है, जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर उसका वेग कम कर देते हैं और इसे धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित कर देते हैं।
मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति मानसरोवर झील की धरती को छू लेता है, वह ब्रह्मा के बनाए हुए स्वर्ग में पहुंच जाता है और जो व्यक्ति झील का पानी पी लेता है, वह भगवान शिव के द्वारा बनाए गए स्वर्ग में जाता है।
रामायण से लेकर महाभारत में भी है उल्लेख
महादेव के मानसरोवर में पांडवों के जाने का उल्लेख भी पुराणों में मिलता है। इसी के साथ यह भी मान्यता है कि शरीर त्यागने के बाद माता सीता मानसरोवर के रास्ते से ही स्वर्ग लोक गई थी। कैलाश मानसरोवर को साक्षात शिव के दर्शनों के लिए पावन स्थान माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा ज्यादातर शिवलिंग रूप में ही अधिक की जाती है लेकिन मानसरोवर में ऊँ पर्वत को ही पूजा जाता है।
स्थिर रहता है सरोवर का जल
मानसरोवर के संदर्भ में यह भी मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा के कारण ही सरोवर का जलस्तर हमेशा एक समान ही रहता है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण यहां बहुत ही ज्यादा सर्दी पड़ती है इसके बावजूद भी यहां कभी बर्फ नहीं जमती है, जबकि सरोवर के दूसरी ओर स्थित राक्षस ताल बर्फ से जम जाता है। मान्यता है कि कैलास पर्वत के रास्ते 33 कोटि देवी देवता आते हैं और सरोवर में स्नान करते हैं, इसलिए सरोवर का जल सदैव स्थिर रहता है और हर घंटे रंग बदलता है।
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Bansal News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।)