Mayor Rajkishore Prasad: कोरबा नगर निगम में कांग्रेस समर्थित महापौर राजकिशोर प्रसाद को जाति प्रमाणपत्र के मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने के छानबीन समिति के फैसले पर रोक लगा दी है, जिससे महापौर की कुर्सी पर खतरा टल गया है।
महापौर का जाति प्रमाण पत्र 21 अगस्त को हुआ था निरस्त
छानबीन समिति ने 21 अगस्त को महापौर प्रसाद का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया था, जिससे उनकी कुर्सी खतरे में आ गई थी। इसके खिलाफ महापौर की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई थी। हाईकोर्ट के जस्टिस पार्थप्रीतम साहू ने इस मामले की सुनवाई की और छानबीन समिति के फैसले पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी।
छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता तथा सीनियर अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि इस रोक के कारण महापौर प्रसाद पर मंडरा रहा कुर्सी छोड़ने का खतरा फिलहाल टल गया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस पार्टी को भी बड़ी राहत मिली है, क्योंकि महापौर के पद पर उनके समर्थित प्रत्याशी की जीत हुई थी।
इसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लड़ा था चुनाव
कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाणपत्र को लेकर विवाद चल रहा था। उनके पास ओबीसी का जाति प्रमाणपत्र था, जो कोहरी जाति के लिए जारी किया गया था। इसी प्रमाण पत्र के आधार पर उन्होंने 2019 में चुनाव लड़ा और जीता था।
प्रसाद की जाति को लेकर की जा रही थीं शिकायतें
बता दें कि नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को लेकर भाजपा की पार्षद रितु चौरसिया ने आपत्ति जताई थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए अनुभागीय अधिकारी कोरबा के द्वारा भी मार्च महीने में अंतिम जांच होने तक जाति प्रमाण पत्र पर रोक लगा दी गई थी।
निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद की जाति को लेकर शिकायतें की जा रही थीं, जिसके चलते प्रदेश की उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने जांच की और 21 अगस्त को उनके ओबीसी प्रमाणपत्र को निरस्त करने का फैसला किया।
इसके बाद कोरबा में राजनैतिक बवाल मच गया और समूचा विपक्ष महापौर को तुरंत हटाने और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा था। लेकिन अब हाईकोर्ट के फैसले से महापौर प्रसाद को राहत मिली है और उनकी कुर्सी पर खतरा टल गया है।
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