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RTI में खुलासा: प्रमुख ट्रेनों के स्लीपर कोच दस साल में 14 से घटाकर 4 किए, जनरल भी कम कर 4 गुना तक बढ़ाए AC कोच

Crowds in Trains: रेलवे ने अपनी कमाई बढ़ाने एसी कोच की संख्या में इजाफा कर दिया, जिसके कारण जनरल और स्लीपर कोच कम कर दिये गए...

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Rahul Sharma
RTI में खुलासा: प्रमुख ट्रेनों के स्लीपर कोच दस साल में 14 से घटाकर 4 किए, जनरल भी कम कर 4 गुना तक बढ़ाए AC कोच

हाइलाइट्स

  • ट्रेनों के स्लीपर और जनरल कोच में भीड़
  • आरटीआई से हुआ कारण का खुलासा
  • इन कोचों की संख्या में हो रही कटौती
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Crowds in Trains: 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है। जनसंख्या के मामले में भारत का नंबर विश्व में दूसरा है।

यहां की बढ़ती आबादी के साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक चुनौती बनकर उभरा है।

ट्रेनों के स्लीपर कोच में भेड़ बकरियों की तरह ठसाठस भरे रेल यात्री... क्या इसकी वजह जनसंख्या वृद्धि है या कारण कोई और है।

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इसका पता लगाने कुछ RTI यानी सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत रेलवे में आवेदन किया गया। जवाब जो आया वो हैरान करने वाला है।

ट्रेनों के स्लीपर और जनरल कोच में यात्री की बढ़ती भीड़ (Crowds in Trains) की वजह जनसंख्या वृद्धि नहीं बल्कि रेलवे द्वारा उठाया गया कदम है।

जिसके कारण एक आम आदमी का सफर मुश्किलों भरा हो गया है।

दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क

भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1811308167688540633

प्रतिदिन ढाई करोड़ से अधिक यात्री 13 हजार से अधिक ट्रेनों के माध्यम से सात हजार से अधिक स्टेशनों से गुजरकर 68 हजार से अधिक किलोमीटर का सफर तय करते हैं।

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इन ट्रेनों में अब आम आदमी का सफर मुश्किलों भरा हो गया है। वजह है स्लीपर और जनरल कोच में ठसाठस (Crowds in Trains) भरे यात्री।

सच्चाई का पता लगाने के लिए ये किया

ट्रेन के स्लीपर और जनरल कोच में बढ़ती यात्रियों की संख्या का पता लगाने के लिए आरटीआई के तहत आवेदन लगाये गए।

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रेलवे से कुछ प्रमुख ट्रेनों के जनवरी 2014 और जून 2024 में अलग-अलग कोच की संख्या मांगी गई।

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इसके साथ ही यह भी पूछा गया कि पांच सालों में यात्री ट्रेनों की संख्या में कोई इजाफा हुआ है, जो सच्चाई सामने आई, उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

यात्री संख्या में इजाफा, पर कोच हुए कम

जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ यात्री संख्या में तेजी से इजाफा हुआ, लेकिन ट्रेन में कोच की संख्या कम कर दी गई।

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कुशीनगर एक्सप्रेस, गोरखपुर एक्सप्रेस और पुष्पक एक्सप्रेस पहले 23 कोच के साथ चलती थी, जिसमें अब कुल कोच की संख्या 22 है।

स्लीपर-जनरल कोच कम कर एसी कोच बढ़ा दिए

22537/38 कुशीनगर एक्सप्रेस:कुशीनगर एक्सप्रेस (पुराना गाड़ी संख्या 11015/16) में जनवरी 2014 में जनरल के 3, स्लीपर के 14 कोच थे। जिसे कम कर जनरल के 2 और स्लीपर के सिर्फ 4 कोच कर दिये हैं। वहीं दस साल पहले एसी के 3 कोच को बढ़ाकर वर्तमान में 13 कोच कर दिए हैं।

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15017/18 गोरखपुर एक्सप्रेस:गोरखपुर एक्सप्रेस में जनवरी 2024 में जनरल के 6 कोच थे। जिसे अब कम कर 2 कोच कर दिया है। दस साल पहले इस गाड़ी में स्लीपर के 13 कोच थे, जिसे कम कर 4 कोच कर दिया है। वहीं एसी कोच की संख्या 2 से बढ़ाकर 13 कर दी गई है।

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12533/34 पुष्पक एक्सप्रेस:पुष्पक एक्सप्रेस में जनवरी 2024 में जनरल के 4 कोच थे जो वर्तमान में घटकर 2 हो गए हैं। स्लीपर कोच को 13 से कम कर 5 कर दिया गया है। एसी कोच की संख्या दस साल पहले 4 थी, जो अब वर्तमान में इस गाड़ी में 12 हो गई है।

कोच के गणित का आप पर ये असर

1. स्लीपर में वेटिंग बढ़ी:स्लीपर कोच कम होने से इनकी वेटिंग बढ़ गई। चार्ट बनने के बाद भी जब ये क्लीयर नहीं होती है तो यात्री वेटिंग टिकट के साथ ही कोच में चढ़ जाता है। इससे इन कोच में ठसाठस यात्री भरे रहते हैं। कुछ ट्रेन तो ऐसी है जहां के स्लीपर कोच में अपनी बर्थ तक पहुंचना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। कोच कम होने की वजह से तत्काल कोटे में भी रिजर्वेशन मिलना मुश्किल होता है।

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2. आपकी जेब खाली:नार्मल टिकट से दोगुना स्लीपर कोच और स्लीपर से दो गुना किराया एसी कोच का होता है। मान लीजिए किसी सफर की जनरल टिकट 200 रुपये में आती है तो उसका स्लीपर का टिकट 400 और थर्ड एसी कोच का रिजर्वेशन 800 रुपये का होगा। जनरल में पैर रखने की जगह नहीं होती और स्लीपर में रिजर्वेशन मिलना आसान नहीं। ऐसे में लंबी दूरी वालों को मजबूरन एसी का टिकट लेना पड़ रहा है।

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ट्रेनों की संख्या में भी नहीं हुआ खास इजाफा

गरीब और मध्यम श्रेणी का व्यक्ति ट्रेन की जिस श्रेणी में यात्रा करता है, उसके कोच कम किये जा रहे हैं।

हर रूट पर अतिरिक्त ट्रेन चलाकर इसकी पूर्ती हो सकती थी, लेकिन ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।

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MP के जबलपुर डिवीजन की ही बात करें तो 5 साल पहले 2019-20 में यहां यात्री ट्रेनों की संख्या 138 थी, जिसमें नाम मात्र की बढ़ोत्तरी कर 140 की गई है। स्पेशल ट्रेन की संख्या 4 से बढ़कर 7 हुई।

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