नई दिल्ली। Reasons Why Kids Drool जब भी छोटे बच्चों के मुंह से लार टपकती है life style तो बुजुर्गों को कहते सुना होगा health कि मां गर्भवास्था के दौरान मां की किसी खाने की इच्छा पूरी न होने के कारण ऐसा होता है। पर जानकारों की मानें ये एक मिथक है। बल्कि बच्चों के शारीरिक विकास के कारण ऐसा होता है। तो चलिए अब जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है। साथ ही जानेंगे कि इसके बचाव के तरीके कौन—कौन से हो सकते हैं।
इसलिए गिरती है लार —
आपको बता दें Reasons Why Kids Drool: बच्चों के मुंह से लार गिरने को इंग्लिश में ड्रलिंग (Drooling) कहते हैं। आपको बता दें मुंह में लार ग्रंथियां होती हैं। जो लार बनाने का काम करती हैं। जब बच्चा इन लार ग्रंथियों को संभाल नहीं पाता है तो वह लार टपकाने लगता है। Reasons Why Kids Drool डॉक्टर्स का मानना है कि 6 से 9 महीने तक के बच्चों के मुंह से लार टपकना साधारण है। लेकिन इसके विपरीत यदि इस उम्र से ज्यादा उम्र तक बच्चे की लार टपकती है तो ये चिंता का विषय है। तो चलिए जानते हैं आखिर छोटे बच्चों के मुंह से क्यों टपकती रहती है लार और क्या हैं इसके लक्षण और उपाय।
बच्चों के मुंह से लार गिरने के पीछे वजह-
बच्चों के मुंह से लार टपकाने या सलाइवा के कई कारण हो सकते हैं। इसमें उनके मुंह में दांतों का आना, मसूड़ों का टाइट होना, मुंह का अंदर से छिलना, लार ग्रंथि का विकसित होना, मुंह में छाले। इसके अलावा जब बच्चों को लार निगलना नहीं आता उस कंडीशन में भी वे लार टपकाते हैं। जानकारों की मानें तो बच्चों का लार टपकाना उनके सही विकास का इशारा है।
ऐसे रोक सकते हैं लार टपकने को —
जानकारों की मानें तो दो साल तक के बच्चे के मुंह से अगर लार गिरती है तो इसे आम बात मानी जाती है। लेकिन यदि चीज बड़ी उम्र के बच्चों के साथ हो तो ये किसी मानसिक बीमारी का संकेत हो सकती है। अगर आपके बच्चे को भी ये समस्या है तो इसके लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं।
आदत विकसित करें-
बच्चों को इस आदत के आदत के बारे में बताएं। बच्चा आपकी बात समझने लगे तो उसे लार न गिराने के बारे में बताएं साथ ही साथ उसके साथ एक रूमाल जरूर रखें। ताकि वो अच्छी तरह से इसकी सफाई कर सके।
थेरेपी-
यदि बच्चा दो साल के बाद भी अधिक लार टपकाता है तो उसे बिना देरी करे चिकित्सक के पास ले जाएं। ऐसे बच्चों का ट्रीटमेंट स्पीच और ऑक्यूपेशनल थेरेपी से बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। इस थैरेपी में बच्चों को लार निगलना और होंठों को बंद रखने का तरीका सिखाया जाता है। इस उपाय से बच्चे लार कम टपकाना सीखते हैं साथ ही साथ इस उपाय से बच्चों की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।
ये दवाएं आती हैं काम —
जब बच्चा जरूरत से ज्यादा लार टपकाता है तो इस कंडीशन में चिकित्सक द्वारा कुछ दवाओं के माध्यम से मरीज का इलाज करते हैं। ये दवाएं लार को कम मात्रा में बनाती हैं। ताकि बच्चे के मुंह से लार गिरने की प्रक्रिया कम की जा सके।