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भोपाल। बैलगाड़ी को दुनिया में परिवहन का सबसे पुराना साधन माना जाता है। खासकर भारत के ग्रामीण इलाकों में इसे प्रयोग में लाया जाता है। इस गाड़ी को दो बैलों द्वारा खिंचा जाता है और इसे परिवहन के रूप में सबसे सस्ता और टिकाऊ साधन माना जाता है। अगर हम आपसे पूछें कि 5-6 किलोमीटर के सफर के लिए बैलगाड़ी का किराया कितना लगेगा तो आप 50-60 या अधिकतम 100 रूपये कहेंगे। लेकिन अगर हम कहें कि ऐसा नहीं है, इसका किराया 5-6 हजार बैठता है तो आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। जी हां, सुनने में अटपटी लगने वाली ये बात सच है।
गांव में भगवान ऋषभदेव का प्रसिद्ध मंदिर है
दरअसल, मप्र के रतलाम जिले में एक गांव है बिबरोड। इस गांव में भगवान ऋषभदेव का प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित है। यहां तक बैलगाड़ी से पहुंचने के लिए लोग दिल्ली से भोपाल तक हवाई जहाज के किराये से भी अधिक रकम चुकाते हैं। यानी 5-6 किलोमीटर तक का सफर तय करने के लिए लोग लगभग 5-6 हजार रूपये चुकाते हैं। हालांकि, ऐसा तब होता है जब पूस माह की अमावस्या के दिन भारी संख्या में जैन श्रद्धालु इस प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मान्यता के अनुसार लोग बैलगाड़ी से जाते हैं दर्शन करने
मान्यता है कि भगवान ऋषभदेव के मंदिर तक बैलगाड़ी से पहुंचने पर परिवार में खुशियां और समृद्धि आती है और जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। पूस माह में हर साल रतलाम और अन्य नजदीकी जिलों से यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में बैलगाड़ियों की संख्या काफी ज्यादा है। मंदिर में दर्शन करने से पहले ज्यादातर श्रद्धालु यहां आने के लिए बैलगाड़ी बुक कर लेते हैं। अगर दो या तीन सदस्यों को छोटा परिवार है तो इसके लिए 2-3 हजार और बड़े परिवार के लिए पांच से आठ हजार रूपये का किराया लगता है।
कौन हैं भगवान ऋषभदेव
भगवान ऋषभदेव को जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर माना जाता है। तीर्थंकर का अर्थ है जो संसार सागर से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करे, उसे जैन धर्म में तीर्थंकर कहा जाता है। ऋषभदेव को भगवान विषणु के 8वें अवतार के रूप में भी जाना जाता है। साथ ही इन्हें आदिनाथ भगवान के रूप में भी जैन धर्म में जाना जाता है।
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