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HC ने नाबालिग रेप पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति: डॉक्टरों बोले अधिनियम का उल्लंघन, कोर्ट ने कहा ये बच्ची पर होगा आघात

MP High Court Permit Abortion: जबलपुर हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में लड़की को अबार्शन (गर्भपात) की अनुमति दी है।

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Rohit Sahu
HC ने नाबालिग रेप पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति: डॉक्टरों बोले अधिनियम का उल्लंघन, कोर्ट ने कहा ये बच्ची पर होगा आघात

MP High Court Permit Abortion: जबलपुर हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में लड़की को अबार्शन (गर्भपात) की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि इस उम्र में बच्चे को जन्म देना लड़की के लिए सामाजिक, मानसिक और शारीरिक आघात होगा। ऐसे में बच्ची को डॉक्टरों की निगरानी में सुरक्षित रूप से गर्भपात की अनुमति रहेगी। हालांकि गर्भपात भी रिस्की है। इसलिए जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस विनय सराफ की सिंगल बेंच ने डॉक्टरों से एहतियात बरतने के लिए कहा है।

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गर्भअवस्था जारी रखना भी रिस्की

जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने कहा है कि मेडिकल प्रोसेस से गर्भावस्था समाप्ती में मुश्किल हो सकती है। लेकिन गर्भावस्था को जारी रखना भी 14 साल की लड़की के लिए जोखिम भरा है। बच्चे को जन्म देना लड़की के लिए मानसिक, शारीरिक और सामाजिक आघात होगा। ऐसे में गर्भपात कराना ज्यादा बेहतर है।दरअसल, पीड़िता के साथ उसके रिश्तेदार ने ज्यादती की थी। जिसके बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी। अभी उसका गर्भकाल 28 सप्ताह हो गया है।

कोर्ट गठित किया था डॉक्टरों का पैनल

पीड़िता के पिता ने घटना के संबंध में बैतूल में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट को नर्मदापुरम (ग्रामीण) पुलिस स्टेशन में भेज किया गया था। पीड़िता के पिता ने भी पुलिस स्टेशन में गर्भपात के लिए आवेदन दिया था। पुलिस ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की कानूनी सहायता समिति के पास आवेदन भेजा था। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। हाईकोर्ट ने पीड़िता की मेडिकल जांच के लिए गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के डीन को डॉक्टरों का एक विशेषज्ञ पैनल गठित कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।

डॉक्टर बोले- अधिनियम का उल्लंघन होगा

डॉक्टरों की 8 सदस्यीय पैनल की ओर से पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया था कि गर्भ 28 सप्ताह और 6 दिन का है। चिकित्सा प्रक्रिया से गर्भपात करना गर्भ का चिकित्सा समाप्ति अधिनियम, 1971 का उल्लंघन होगा। जो सामान्य परिस्थितियों में 20 सप्ताह और असाधारण मामलों में 24 सप्ताह तक गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है।

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ऐहततियातन गर्भपात कराया जाए

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता भी नहीं चाहते हैं कि उनकी बेटी इतनी कम उम्र में बच्चे को जन्म दे। मामले में जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के दूसरे आदेश का हवाला देते हुए कहा कि चिकित्सा प्रक्रिया से गर्भपात के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम गठित की जाये और ऑपरेशन के दौरान पूरी ऐहतियात बरती जाए।

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