MP Teachers Transfer Policy: मध्य प्रदेश के गाडवारा में गिजुभाई शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने शिक्षकों तबादले को लेकर बड़ी बात कह दी। मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने अपने स्कूल के शिक्षक याद करते हुए कहा कि पहली कक्षा में मेरा नाम लिखने वाले शिक्षक 32 साल उसी स्कूल में रहे। शिक्षक एक जगह रहकर भी बच्चों को ज्ञानार्जन का काम करा सकता है। इसलिए शिक्षकों को लंबा अवसर दिया जाना चाहिए।
शिक्षकों का ट्रांसफर करना मैं सही नहीं मानता- राव उदय
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि मैं जिस स्कूल में पढ़ा उस स्कूल के शिक्षक ने मेरा नाम लिखा था वे वहां 32 साल तक रहे। मेरा मानना है शिक्षक जैसा पद आवश्यक न हो तो ट्रांसफर योग्य नहीं है। उस जमाने में शिक्षक एक जगह रहकर ज्ञानार्जन करा सकता है तो आज का शिक्षक क्यों नहीं। हमारे नियम 3 साल में तबादले के हैं, लेकिन यदि कोई शिक्षक अच्छा काम कर रहा है। तो उसका तबादला (Teachers Transfer)क्यों हो, उसे लंबा अवसर मिलना चाहिए।
शिक्षकों के बिना कोई भी देश प्रदेश तरक्की नहीं कर सकता
मंत्री राव उदय प्रताप (Rao Uday Pratap Singh)ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बिना शिक्षकों के सहयोग, कोई भी देश या प्रदेश विकास नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षक का स्थानांतरण बिना कारण नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब शिक्षक किसी स्कूल में लंबे समय तक रहते हैं, तब वे विद्यार्थियों की कमजोरियों को बेहतर तरीके से समझकर उन्हें सुधारने में सक्षम होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि सभी शिक्षक नियमित रूप से समय पर स्कूल पहुंचें, तो हमारी शिक्षण व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएगा और बच्चों का भविष्य बेहतर होगा। उनका यह दायित्व है कि वे विद्यार्थियों के मन में स्कूल के प्रति सकारात्मक भावना और जिज्ञासा उत्पन्न करें, जिससे बच्चे प्रतिदिन स्कूल आएं।
500 शिक्षकों का हुआ सम्मान
शिक्षक संदर्भ समूह के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन और राज्य स्तरीय गिजुभाई शिक्षक सम्मान समारोह (Gijubhai Teachers Award) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए नवाचारी शिक्षकों को वर्तमान संसाधनों का उपयोग करके बेहतर शैक्षणिक माहौल तैयार करने और क्वालिटी शिक्षा प्रदान करने के लिए सम्मानित किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार कर अनुकरणीय योगदान देने वाले प्रदेश के अलग हिस्सों के लगभग 500 शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कौन हैं बाल शिक्षाशास्त्री गिजुभाई बाधेका
गिजुभाई बधेका (Gijubhai Badheka) (15 नवंबर 1885 – 23 जून 1939) एक प्रसिद्ध गुजराती लेखक और बाल शिक्षाशास्त्री थे, जिनका पूरा नाम गिरिजाशंकर भगवानजी बधेका था। उन्होंने बाल मंदिर नामक विद्यालय की स्थापना की। उनके अनुसार, वास्तविक शिक्षा वह है जो बालक के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करे और उसे चरित्रवान, परिश्रमी, और स्वावलंबी बनाए। उनका मानना था कि शिक्षा में अनुभवात्मक और अभिव्यक्तात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए। केवल परीक्षा पास करके कागजी डिग्री प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है।