मुंबई। बॉलीवुड में विलेन की उतनी चर्चा नहीं होती, जितनी फिल्मों में काम करने वाले हीरो और हीरोइनों की होती है। लेकिन, कई ऐसे विलेन किरदार हैं, जिन्हें लोग अब तक नहीं भुल पाए हैं। शोल के गब्बर सिंह हो या मिस्टर इंडिया के मौगैम्बो। लोग आज भी नाम से ही इनके किरदार को पहचान लेते हैं। ठीक उसी तरह एक और विलेन का किरदार है ‘चिंकारा’। फिल्म ‘वक्त हमारा है’ में चिंकारा का रोल मशहुर एक्टर रामी रेड्डी (Rami Reddy) ने निभाया था। रामी को फिल्मों में क्रूर किरदारों के लिए जाना जाता है।
अपने अभिनय से सबको चौंकाया
उन्होंने कई फिल्मों में विलेन का रोल किया है। चाहे वो ‘प्रतिबंध’ में अन्ना का रोल हो या ‘आंदोलन’ में बाबा नायक का किरदार। उन्होंने जो भी भूमिका निभाई, उसमें अपनी जान लगा दी। रामी ने 250 से भी अधिक फिल्मों में काम किया और एक से बढ़कर एक फिल्में उन्होंने दी। लेकिन, लिवर की बीमारी ने रामी रेड्डी को ऐसे घेरा कि वो फिर कभी लौट कर फिल्मों में नहीं आ सके। बीमारी के चलते वे ज्यादातर अपने घर पर ही रहते थे और पब्लिक में जाने से भी बचते थे।
उन्हें देख कर लोग पहचान नहीं पा रहे थे
हालांकि एक बार उन्हें तेलुगु फिल्मों के अवॉर्ड फंक्शन में देखा गया था। जहां उन्हें पहचान पाना मुश्किल था। लोग उन्हें देख कर यकीन नहीं कर पा रहे थे। बीमारी के चलते रामी काफी दुबले-पतले नजर आ रहे थे। उन्हें कई बीमारियों ने एक साथ घेर लिया था। लिवर के बाद किडनी की बीमारी ने उन्हें घेर लिया था। कहा जाता है कि आखिरी वक्त में उन्हें कैंसर ने भी जकड़ लिया था। मौत से पहले वो सिर्फ पड्डियों का ढ़ांचा रह गए थे।
कम उम्र में ही दुनिया को कह दिया अलविदा
बीमारियों के कारण आखिरकर 14 अप्रैल, 2011 को महज 52 साल की उम्र में रामी रेड्डी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। रामी का पूरा नाम गंगासानी रामी रेड्डी था। उनका जन्म आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित वाल्मीकिपुरम गांव में 1 जनवरी, 1959 को हुआ था। फिल्मों में आने से पहले रामी ने हैदराबाद के मशहुर अखबार मुंसिफ डेली के लिए काफी वक्त तक बतौर पत्रकार काम किया था। उन्होंने इसके लिए उस्मानिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की डिग्री भी ली थी।
बॉलीवुड के इन फिल्मों में निभाया किरदार
रामी ने बॉलीवुड के कई फिल्मों में काम किया। इनमें। वक्त हमारा है, दिलवाले, ऐलान, अंगरक्षक, खुद्दार, अंगारा, हकीकत, कालिया, रंगबाज, लोहा, हत्यारा, चांडला, दादा, जानवर, गुंडा, कुर्बानियां और क्रोंध जैसी फिल्में प्रमुख हैं। हालांकि, संजय दत्त और गोविंदा की फिल्म आंदोलन में उनके द्वारा निभाया गया ‘बाबा नायक’ का किरदार आज भी लोगों को याद है। उन्होंने इस किरदार में जान डाल दी थी।