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हाइलाइट्स
रक्षाबंधन भाई-बहन के मजबूत रिश्ते का पर्व
बहनों ने की भाई की जीवन रक्षा
बहनों ने भाई को डोनेट की किडनी
Rakshabandhan Special Kidney Donation: रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का पर्व है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। लेकिन भोपाल में कुछ बहनें ऐसी जो अपने भाई की रक्षा करके समाज के लिए प्रेरणा बन गईं। इन बहनों ने किडनी डोनेट करके अपने भाई की जीवन रक्षा की। ऐसी ही कुछ प्रेरक कहानियां जो उन रिश्तेदारों के लिए भी एक बड़ी सीख हैं, जो ब्लड डोनेट करने में भी पीछे हट जाते हैं।
भोपाल के रोहित को बहन राजनंदिनी ने दी किडनी
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किडनी लेने वाले भाई रोहित सांवले[/caption]
भोपाल में सलैया के 30 वर्षीय रोहित सांवले कहते हैं कि परिवार में मां भगवती सांवले और छोटी बहन राजनंदिनी हैं। बड़ी बहन कंचन मसानी की शादी हो चुकी है। एक साल पहले तक मेरी तबीयत बहुत खराब थी, जब बंसल अस्पताल के किडनी रोग और प्रत्यारोपण फिजिशियन डॉ. विद्यानंद त्रिपाठी को बताया। पता चला कि एक किडनी खराब है।
रोहित कहते हैं कि डॉक्टर विद्यानंद ने सबसे पहले परिवार की जानकारी ली, फिर मुझे डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के विकल्प दिए। जिसमें से मैंने डायलिसिस का विकल्प चुना। मेरी बिगड़ती तबीयत देखकर मां भगवती सांवले से रहा नहीं गया और उन्होंने ट्रांसप्लांट के लिए हिम्मत दी। डॉक्टर्स की सलाह पर मां भगवती सांवले के टेस्ट किए गए, लेकिन वह अपनी उम्र की वजह से ट्रांसप्लांट के लिए फिट नहीं बैठ पाई। करीब 6 महीने तक मैं डायलिसिस पर रहा, लेकिन पराया धन मानकर बहन से मदद नहीं ली।
राजनंदिनी का जीवन पहले की तरह सामान्य
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किडनी देने वाली बहन राजनंदिनी[/caption]
27 वर्षीय छोटी बहन राजनंदिनी सांवले कहती हैं कि 6 महीने तक भैया का डायलिसिस चलता रहा, लगातार तबीयत बिगड़ रही थी। मैंने कई बार भैया से कहा, लेकिन वह नहीं माने, आखिरकार मैंने टेस्ट कराए, जिसमें मैं पूरी तरह से स्वस्थ निकली। मैंने मां और डॉक्टर से मिलकर भैया को मनाया और सितंबर 2024 को भाई का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। आज मैं पहले की तरह स्वस्थ हूं। जीवन सामान्य है। पहले जैसा काम कर सकती हूं।
मैं समाज के उन लोगों से कहना चाहती हूं कि अंगदान करें, रिश्ता हो या न हो। सारी भ्रांतियां है कि किडनी दान से कमजोर होंगे या पहले जैसे काम नहीं कर पाएंगे। बल्कि दान से रिश्तों के साथ मानवता को भी जी पाएंगे।
भोपाल के रामजी के लिए आगे आई छोटी बहन
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किडनी लेने वाले भाई रामजी गुप्ता[/caption]
भोपाल के कोकता बायपास के 52 वर्षीय रामजी गुप्ता कहते हैं कि परिवार में मां-पिता, पत्नी, तीन बेटी, एक बेटा है। किडनी खराब हुई तो सभी किडनी देने आगे आए, लेकिन टेस्ट कराया तो पत्नी को डायबिटीज, पिता-मां की उम्र बाधा बनी। मैंने बेटियों और बेटे से मदद लेना उचित नहीं समझा। रामजी कहते हैं पिता ने मेरी 4 बहनों से बात की, इसमें छोटी बहन की तबीयत अच्छी थी, वह भी राजी हो गई, लेकिन कुछ कारणों से ट्रांसप्लांट करने में देरी हो गई। आखिरकार 2 साल बाद 10 जून 2025 को किडनी दान कर दी।
बीमा गुप्ता-मैं किडनी दान करके भी स्वस्थ
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किडनी देने वाली बहन बीमा गुप्ता[/caption]
रीवा जिले में देवलोंग की 37 वर्षीय बीमा गुप्ता कहती हैं कि परिवार में तीन बेटे और पति गौरीशंकर गुप्ता हैं। मैं किडनी दान करके भी स्वस्थ हूं। न कोई कमजोरी न काम में कोई परेशानी। समाज के हर उस रिश्तेदार से आग्रह करना चाहती हूं, जो सक्षम होकर भी पुरानी धारणाओं को मानते हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर ?
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बंसल अस्पताल में किडनी रोग और प्रत्यारोपण फिजिशियन डॉ. विद्यानंद त्रिपाठी कहते हैं डायबिटिक, ज्यादा उम्र और मोटे व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता। अधिकांश केस डायबिटीज समेत अन्य समस्याओं से किडनी खराब होती है। जिसमें कुछ वंशानुगत पीढ़ी दर पीढ़ी डायबिटीज की शिकायतें सामने आती हैं, ऐसे में वे जांच में अनफिट मिलते हैं। जिस वजह से परिवार के सदस्य किडनी दान नहीं कर पाते हैं। कुछ मामलों में रिश्तेदार की मदद ली जा सकती है, उन्हें काउंसिलिंग जरूरी है।
जागरूकता जरूरी
कुछ धर्म विशेष वर्ग में अंगदान नहीं किया जाता, ऐसे में उन वर्गों के धर्म गुरू के माध्यम से जागरूकता लाना जरूरी हो गया है। हर दिन किसी न किसी घटना में मृत्यु के बाद अंगदान कर सकते हैं, लेकिन इसे लेकर बहुत कम जागरूकता है। डिफरेंट ब्लड ग्रुप में भी डोनेशन हो रहे हैं। इसमें सिर्फ खर्च बढ़ जाता है।
भाई का बहन के प्रति क्या कर्त्तव्य होना चाहिए ?
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संत प्रेमानंद महाराज[/caption]
संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भाई का पहला धर्म है कि जब तक बहन का विवाह न हो, वह हर पल उसकी सुरक्षा और मर्यादा की चिंता करे। बहन घर में हो या बाहर, भाई का व्यवहार बहन की छाया बनने जैसा होना चाहिए, जो हर संकट से पहले उसके सामने खड़ी हो। भाई का कर्त्तव्य केवल शारीरिक सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि किशोर अवस्था में बहन को सही मार्ग दिखाना भी भाई की जिम्मेदारी है।
बहन को गलत संगति से बचाना और उसे विश्वास से भरपूर वातावरण देना, भाई की जिम्मेदारी होती है। बहन की शादी के बाद भी भाई का स्नेह का अधिकार खत्म नहीं होता। भाई को बहन से मिलने जाना चाहिए। हालचाल पूछना चाहिए और उपहार देकर उसका मान बढ़ाना चाहिए, स्नेह जताना चाहिए।
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