नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार Rakshabandhan 22 august 2021 सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हर बार कोई न कोई बना योग त्योहारों को खास बना देता है। भाई—बहनों के इस त्योहार पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर समृद्धि और लंबी आयु के लिए कामना करेंगी। वहीं अंग्रेज़ी कैलेंडर अनुसार इस बार 22 अगस्त को है। 21 अगस्त की शाम 7:3 मिनट से आरंभ होगी। उसकी समाप्ति अगले दिन 22 अगस्त (रविवार) शाम 5:33 मिनट होगी।
474 साल बाद बना ये संयोग
हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर सूर्य 474 years सिंह राशि में मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान रहेंगे। सिंह राशि के सूर्य के साथ मित्र मंगल भी मौजूद रहेंगे। शुक्र कन्या राशि में होगा। ग्रहों की ये स्थिति बेहद शुभ और फलदायी मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन पर ग्रहों का यह दुर्लभ संयोग 474 साल बाद बन रहा है। इससे पहले वर्ष 1547 में 11 अगस्त को ग्रहों की यही स्थिति बनी थी।
हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल रक्षाबंधन का त्योहार श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है। मगर इस बार यह सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ मनाया जाएगा। इस बार राखी पर भद्रा नहीं होगा। सभी बहनें पूरा दिन भाई को राखी बांध सकती हैं। साथ ही रक्षाबंधन के दिन कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा।
गुरू और चंद्रमा का मिलन बनाएगा गजकेसरी योग
गुरु और चंद्रमा के इस मिलन से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। केंद्र में चंद्रमा और गुरु एक दूसरे की तरफ दृष्टि करके बैठने पर यह योग बनता है। यह योग लोगों को भाग्यशाली बनाता है। जिससे धन संपत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति के योग बनते हैं। गज केसरी योग, राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति कराता है।
नोट : (लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। किसी तरह की सूचनाओं का अमल करने के पहले विशेषज्ञ से सलाह ले लें। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता।)