Raksha Bandhan 2024 Katha: आज पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है।
भद्रा के चलते दोपहर 1:10 बजे के बाद राखी का शुभ मुहूर्त रहेगा। कैलेंडर के अनुसार सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।
बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करेगीं।
ऐसे में चलिए जानते हैं कि रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या-क्या हैं। रक्षाबंधन की शुरूआत कैसे हुई। ये क्यों खास है।
जानिए क्या है रक्षाबंधन के पीछे की कहानी
आखिर रक्षाबंधन पर्व के पीछे की कहानी क्या है, और यह कब शुरु हुआ। पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार यूं तो रक्षाबंधन पर्व को लेकर कई कथाएं समाने आती हैं, लेकिन इसका मुख्य पौराणिक कथा माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है, जिसके चलते आज भी रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है।
रक्षा बंधन का रक्षासूत्र से नाता
पंडित सनतकुमार खम्परिया के अनुसार वृत्तासुर से युद्ध करते समय जाने से पहले इंद्र को उनकी पत्नि शची ने रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बाद से ही रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
लेकिन इस त्यौहार की खास बात भाई बहन के रक्षासूत्र से जुड़ी हुई है। ऐसे में रक्षाबंधन त्यौहार तब बना, जब इस सूत्र से देवी माता लक्ष्मी का नाता जुड़ा।
दरअसल स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण मुताबिक जब भगवान विष्णु के प्रथम अवतार वामन ने महाराज बली से ढ़ाई पग भूमि मांगने के बाद बलि को पाताललोक का राजा बना दिया, मौका देख राजा बलि ने भगवान से एक वरदान मांग लिया, जिसके अनुसार भगवान को रात-दिन उनके सामने रहने का वचन देना पड़ा।
और ऐसे बचाया मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को
वामनावतार के बाद दरअसल भगवन विष्णु को देवी लक्ष्मी के पास पुन: वापस जाना था, लेकिन इस वरदान ने भगवान विष्णु को रोक दिया और वे वहीं रसातल में बलि की सेवा में करने लगे। जब इस बारे में पता चला तो मां लक्ष्मी चिंतित हो गई। मां की इस स्थिति को देख नारदजी ने मां लक्ष्मी को उपाय बताया। जिसके अनुसार उन्होंने राजा बलि को उनका भाई बनाकर अपनी रक्षा का वचन मांगने की सलाह दी। तब मां लक्ष्मी ने साधारण महिला का रूप धारण किया।
रोते हुए राजा बलि के दरबार में पहुंची तो उन्होंने मां से उनके रोने का कारण पूछा। मां ने कहा कि मेरा कोई भाई है। मैं क्या करूं महाराज। उनकी व्यथा सुनकर राजा बलि ने उन्हें अपनी धर्म बहन बनाने का प्रस्ताव रखा। साधारण महिला के रूप में आईं मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा और वचन लिया कि वह उन्हें दक्षिणा भी देंगे। राजा बालि ने उन्हें ये वचन दे दिया।
वचन मिलते ही माता लक्ष्मी ने असली रूप में आ गईं। वे बोलीं कि यदि आपने मुझे अपनी बहन माना है तो दक्षिणा के रूप में आप मुझे मेरे पति को लौटा दें। जिस पर अपने वचन का पालन करते हुए राजा बलि ने मां लक्ष्मी को भगवान विष्णु को लौटा दिया।
इस प्रकार राजा बलि को अपना भाई बनाने के बाद मां लक्ष्मी श्रीहरि को वचन से मुक्त करा कर साथ ले गई। मान्यता के अनुसार यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा को घटी थी। तभी से इस दिन रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2024) मनाया जाने लगा।