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Raksha Bandhan 2022 “Kuyog ” : इस बार रक्षा बंधन पर सुयोग नहीं बल्कि बन रहा है “कुयोग”, आखिर क्यों यहां जानें

Bansal News by Bansal News
August 13, 2024
in धर्म-अध्यात्म
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नई दिल्ली। भाई बहनों को रक्षाबंधन के Raksha Bandhan 2022 “Kuyog ” त्योहार का बड़ी ही mp news बेसब्री से इंतजार रहता है। ऐसे में mp news in hindi हम इंतजार करते हैं शुभ astrology news मुहूर्त का। लेकिन आपको बता दें rakhi per bhadra ka saya इस बार राखी पर सुयोग नहीं bhadra ka samay बल्कि कुयोग बन रहा है। वो इसलिए kub lag rahi hai bhadra क्योंकि इस बार राखी पर पूरे badra time 2022 दिन भद्रा का साया रहेगा। पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया होना अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए इसे सुयोग नहीं बल्कि कुयोग माना जाता है। इस बार राखि का त्योहार अगर चाहें तो उतरती भद्रा में राखी बांधी जा सकती है। तो चलिए जानते हैं आखिर भद्रा किसे कहते हैं और राखी के दिन ये कब से कब तक रहेगी।

राखी का महत्व —
राखी का त्योहार भाई—बहनों के लिए खास होता है। बहनों द्वारा भाइयों पर Raksha Bandhan Date 2022 बांधा जाने वाला रक्षासूत्र उसके जीवन की रक्षा के संकल्प के साथ भाई से वादा लेता है। कि भाई Rakshabandhan Date 2022 Bhadra Time अपनी बहनों के जीवन की रक्षा करेंगे। हिंदू धर्म में भाई-बहन के अटूट bhadra time बंधन और प्रेम को समर्पित रक्षाबंधन का त्योहार सावन के महीने में पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी सलामती की कामना करती हैं। रक्षाबंधन हर साल सावन महीने Raksha Bandhan 2022: की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार की शुरुआत के पीछे भी कई कहानियां जुड़ी हुई हैं। लेकिन इस त्योहार की शुरुआत कैसे हुई, साथ ही इस साल रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त क्या है। चलिए हम आपको बताते हैं।

रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर कहानियां —

लक्ष्मी माता और राजा बलि की कहानी
एक प्रचलित कहानी के अनुसार एक बार जब विष्णु भगवान ने वामन अवतार लिया था। जब एक राजा से तीन पग में ही सारा राज्य उन्होंने मांग लिया था। इतना हीन उन्होंने राजा बलि को पाताल में रहने को कहा। ऐसा कहने पर राजा बलि ने स्वयं विष्णु जी को पाताल लोक में अतिथि के रूप में उनके साथ चलने का आग्रह किया था। तब श्रीहरि उन्हें मना नहीं कर पाए और उनके साथ पाताल लोक चले गए। लेकिन काफी समय गुजरने के बाद भी जब भगवान विष्णु नहीं लौटे तो लक्ष्मी माता चिंतित होने लगीं। इसके समाधान के लिए नारद जी ने मां लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाकर और फिर उनसे तोहफा स्वरूप श्रीहरि को मांगने के लिए कहा। माता लक्ष्मी ने ऐसा ही किया। उन्होंने राजा बलि के साथ अपना संबंध गहरा बनाने के लिए उनके हाथ में रक्षासूत्र बांधा।

इंद्र और देवी शचि की कहानी —
दूसरी पौराणिक मान्यता अनुसार जब इंद्रदेव वृत्तासुर से युद्ध के लिए जा रहे थे। उस समय अपने पति की कुशलता की इच्छा रखते हुए देवी शचि ने इंद्रदेव को रक्षासूत्र के रूप में कलावा बांधा था। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस समय से ही रक्षाबंधन की शुरुात हुई है।

द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कहानी
महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार राजसूय यज्ञ के दौरान जब श्रीकृष्ण ने असुर शिशुपाल का वध किया था। उस समय उनके हाथ में भी चोट आई थी। ऐसे में श्रीकृष्ण की चोट को देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी सारी का एक टुकड़ा चीरकर भगवान कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। तब कृष्ण जी ने द्रौपदी की सदैव रक्षा करने का वादा किया। यही कारण बताते हैं कि जब दुस्शासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तो श्री कृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी को अनंत करके उनकी रक्षा की थी।

रक्षाबंधन 2022 में इस दिन है रक्षाबंधन —
आपको बता दें इस बार पूर्णिमा दो दिन आ रही है। जिसके कारण लोगों में दुविधा है कि रक्षाबंधन कब मनाएं। कोई भी त्योहार उदया तिथि में आए तो वह उस दिन मनाया जाता है। हिन्दु पंचांग के अनुसार इस साल यानि 2022 में रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त गुरुवार को आ रहा है। पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार

इतने बजे से लग रही है भद्रा —
पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार 11 अगस्त को 9:26 तक चौदस रहेगी। इसके बाद पूरे 24 घंटे पूर्णिमा रहेगी। लेकिन चूंकि इस दिन 11 को सुबह 9:37 से रात के 8:28 तक भद्रा रहेगी। इस दौरान राखि बांधना शुभ नहीं माना जाता है। इस मुहूर्त से बचना होगा। जो भद्रा को नहीं मानते हैं वे अपने अनुसार इस दिन राखी बंधवा सकते हैं। यानि कुल मिलाकर 11 अगस्त को ही राखि बंधेगी। साथ ही पंडितों द्वारा किया जाने वाला श्रावणी उपाक्रम 12 अगस्त को ही किया जाएगा।

भद्रा का समय —
11 अगस्त को भद्रा का समय — सुबह 9:37 से रात 8:28 तक
शाम को 5:30 यानि

Raksha Bandhan Puja Thali: ऐसे सजाएं पूजा की थाली, जानें क्यों भेंट करते है भाई को श्रीफल

आखिर क्या है अशुभ योग —
इस रक्षा सूत्र पर भद्रा का साया रहेगा। पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इस बार राखी के योग को सुयोग नहीं कुयोग कहेंगे। वो इसलिए क्योंकि इस बार राखि 11 अगस्त को है। लेकिन इस दिन भद्रा सुबह 9:37 से शुरू होकर रात के 8:28 तक रहेगी। गौरतलब है कि भद्रा में राखी का बांधना शुभ नहीं माना जाता है। क्योंकि इस दौरान शुभ काम भी वर्जित होते हैं। अगर लोग इस बांधना चाहे तो भद्रा की पूंछ यानि उतरती भद्रा के समय करीब 5:30 बजे से राखी बांधना शुरू किया जा सकता है। लेकिन फिर भी अगर इंतजार कर सकें तो शुभ मुहूर्त में भी राखी बांधनी चाहिए।

भद्रायाम द्वे न कर्तव्यम्, श्रावणी फाल्गुनी तथा
श्रावणीय राजा हन्ते, ग्रामम् दहती फाल्गुनी

पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार भद्रा में कार्यों की विशेष रूप से मनाही हैं पहला राखी बांधना और दूसरा होलिका दहन। इसमें जब भद्रा में राखि बांधते है। तो राजा को भयंकर कष्ट होता हैं। तो वहीं भद्रा में होलिका दहन होता है तो गांव में आग यानि आगजनी की घटना होती हैं।

भद्राकाल में क्यों नहीं बांधते राखी?
हिन्दू धर्म में बताए अनुसार भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जा सकती है। भद्रा काल का समय अशुभ होता है ऐसे में इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किया गया शुभ कार्य कभी भी सफल नहीं होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा भगवान सूर्यदेव और माता छाया की पुत्री थी। साथ ही शनिदेव की बहन भी। ऐसी मान्यता है कि जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह पूरी सृष्टि में तबाही मचाने लगी और सृष्टि को निगलने वाली थी। भद्रा जहां पर कोई पूजा-पाठ, अनुष्ठान,यज्ञ और मांगलिक कार्य होता है वह वहां पहुंच कर उसमें रुकावट पैदा करने लगती थीं। इस कारण से भद्रा को अशुभ माना गया है और भद्रा काल के लगने पर राखी या किसी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके अलावा एक अन्य कथा भी यह है कि रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाया थी। जिस कारण से उसका अंत हुआ था। इसी कारण से रक्षाबंधन के दिन भद्रा के समय राखी बांधना वर्जित होता है।

नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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