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Rajnath Singh : भारत सैन्य उत्पादन के लिए केवल ‘असेंबली कार्यशाला’ बनकर नहीं रहना चाहता

Rajnath Singh : भारत सैन्य उत्पादन के लिए केवल ‘असेंबली कार्यशाला’ बनकर नहीं रहना चाहता Rajnath Singh: India does not want to be just an 'assembly workshop' for military production sm

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Bansal News
Rajnath Singh : भारत सैन्य उत्पादन के लिए केवल ‘असेंबली कार्यशाला’ बनकर नहीं रहना चाहता

बेंगलुरु। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को एयरोस्पेस की प्रमुख भारतीय और वैश्विक कंपनियों को संदेश दिया कि भारत सैन्य साजो-सामान के उत्पादन के मामले में केवल ‘असेंबली कार्यशाला’ बनकर नहीं रहना चाहता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब उसका लक्ष्य उन्नत रक्षा उपकरणों का उत्पादन करना है। सिंह ने यह टिप्पणी बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित येलहंका वायुसेना स्टेशन परिसर में आयोजित 14वें एयरो इंडिया के दौरान ‘सीईओ गोलमेज’ बैठक के दौरान की। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में रक्षा उद्योग के नेताओं से आह्वान किया कि वे देश के रक्षा उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता की नीति से तालमेल मिलाते हुए भारत की अहम प्रौद्योगियों का इस्तेमाल कर सैन्य मंचों और उपकरणों का प्रमुख उत्पादक बनने की महत्वकांक्षा में सहयोग करें।

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इस गोलमेज सम्मेलन में विभिन्न कंपनियों के करीब 70 शीर्ष कार्यकारियों ने हिस्सा लिया। रक्षा उद्योग के नेताओं को भारत में कारोबार करने के लिए सभी तरह का समर्थन देने का भरोसा देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार-उद्योग साझेदारी समानता और आपसी भरोसे पर आधारित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज भारत का मूल मंत्र स्वदेशीकरण है जबकि पहले आयात स्वत: विकल्प होता था। सिंह ने कहा कि सरकार रक्षा क्षेत्र के कारोबार में ‘बाधाओं’ को दूर करने में पूरा सहयोग देगी।

उल्लेखनीय है कि एशिया की सबसे बड़ी विमान प्रदर्शनी पांच दिवसीय एयरो इंडिया का उद्घाटन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने पिछले आठ-नौ वर्षों में रक्षा उत्पादन क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है और अब देश अनुकूल आर्थिक नीतियों के सहारे विश्व स्तर पर सैन्य साजो-सामान के प्रमुख निर्यातकों में से एक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। गोलमेज बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत केवल ‘‘असेंबली कार्यशाला’’ बनकर नहीं रहना चाहता और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’, ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ दृष्टिकोण के आधार पर रक्षा एवं सुरक्षा के मामले में मित्र देशों के साथ साझा विशेषज्ञता, क्षमता के आधार पर जुड़ना चाहता है।

रक्षा मंत्री ने रक्षा उद्योग के प्रमुखों से कहा कि सरकार नए विचारों के लिए खुली है और रक्षा में निजी क्षेत्र के साझेदारों की ऊर्जा, उद्यमिता की भावना और क्षमता इस्तेमाल करने को प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मौलिक उपकरण बनाने वाली कई विदेशी कंपनियों जिनमें सफ्रान, बोइंग, कॉलिन एयरोस्पेस, प्रैट ऐंड व्हिटनी और थेल्स शामिल हैं, ने भारत के रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में साझेदारी व निवेश संबंधी योजनाओं की घोषणा की है। मंत्रालय ने बताया कि जनरल अटॉमिक और भारत ने विमान पुर्जों और उनके हिस्सों के निर्माण में साझेदारी और मजबूत करने की घोषणा की है।

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बयान के मुताबिक हेसोल्डट ने भी भारतीय हेलीकॉप्टर के लिए डिजाइन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बाधा से बचने की प्रणाली के लिए बौधिक संपदा अधिकार के हस्तांतरण और भारतीय एवं वैश्विक बाजार के लिए मल्टी सेंसर इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स एयरबॉर्न गिम्बल को संयुक्त रूप से विकसित करने की घोषणा की है। सिंह ने कहा कि सरकार का संकल्प गतिशील और वैश्विक मानकों के अनुकूल रक्षा उत्पादन उद्योग को पोषित करना है। उन्होंने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का अहम चालक करार दिया।

राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय द्वारा देश में कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारा स्थापित किया जा रहा है, औद्योगिक लाइसेंस प्रक्रिया को सरल किया गया है, रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में वृद्धि की गई है, सरकारी प्रशिक्षण सुविधाओं और प्रयोगशालओं को निजी क्षेत्रों के लिए खोला गया है और वर्ष 2023-24 के रक्षा बजट में वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से भारतीय रक्षा उत्पादों को विश्व में पहले से स्थापित रक्षा और एयरोस्पेस कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

‘सीईओ गोलमेज’ का आयोजन ‘आसमान की सीमा नहीं : सीमाओं से परे अवसर’ थीम पर किया गया। इस गोलमेज सम्मेलन में बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज, जनरल मोटर्स, सैफरन, भारत इलेक्ट्र्रॉनिक लिमिटेड, भारत डायनामिक्स लिमिटेड, बीईएमएल लिमिटेड, मिश्रा धातु निगम लिमिटेड, लारसन ऐंड टुब्रो, भारत फोर्ज, ब्रह्मोस एयरोस्पेस सहित विभिन्न कंपनियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वी आर चौधरी, नौसेना अध्यक्ष एडमरिल आर हरि कुमार, थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने भी हिस्सा लिया।

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