पुणे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह Rajnath Singh ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारत प्रौद्योगिकी में प्रगति कर लेता है तो वह महाशक्ति बन सकता है। वह यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के ‘डीम्ड’ विश्वविद्यालय डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी (डीआईएटी) में छात्रों और शोधकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को नवाचार और अनुसंधान में प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने Rajnath Singh कहा, ‘सशस्त्र बलों, उद्योगों और शिक्षाविदों के सामूहिक प्रयासों के जरिए अनुसंधान और नवाचार में प्रगति के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा कुछ पहल शुरू की गई हैं तथा यह केवल परस्पर समझ और ज्ञान और बेहतर प्रथाओं को साझा करके ही हो सकता है।’’
Addressing the students of Defence Institute of Advance Technology in Pune. Watch https://t.co/U17Hq9l49k
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 27, 2021
सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय Rajnath Singh ने नयी प्रतिभाओं को जोड़ने और आकर्षित करने तथा क्षेत्र से सशस्त्र बलों के कर्मियों से अनुभव और जानकारी प्राप्त करने के लिए ‘आईडीईएक्स’ (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) नामक एक मंच बनाया है क्योंकि इसका सुरक्षा महत्व है।
उन्होंने Rajnath Singh कहा कि केंद्र ने ‘आईडीईएक्स’ के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसके अलावा, सरकार ने 300 स्टार्टअप को समर्थन देकर ‘एयरोस्पेस’ और रक्षा में अनुसंधान तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अपनी हालिया नागपुर यात्रा का जिक्र करते हुए सिंह ने पांच महीने में एक निजी कंपनी द्वारा भारतीय सेना को एक लाख हथगोला की सफल आपूर्ति किए जाने का भी उदाहरण दिया।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने इंडोनेशिया को इसी तरह के हथगोले उच्च कीमत पर निर्यात किए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक हथगोले की भारत में कीमत 3,400 रुपये है और कंपनी ने इसी तरह के हथगोले इंडोनेशिया को 7,000 रुपये से अधिक कीमत पर निर्यात किए हैं। रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने कहा, ‘मेरा कहना है कि अगर हम प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ते हैं, तो भारत एक महाशक्ति बन सकता है। देश एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है।’ सिंह ने कोविड अनुसंधान क्षेत्र में नौ पेटेंट प्राप्त करने के लिए संस्थानों के प्रयासों की भी सराहना की।