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Udaipur News: उदयपुर राजघराने का विवाद थमा, विश्वराज सिंह ने सिटी पैलेस पहुंचकर किए धूणी दर्शन

Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy:Udaipur Royal Family Clash; Maharana Vishvaraj Singh Raj Tilak Controversy उदयपुर के मेवाड़ में सोमवार (25 नवंबर) को पूर्व राजघराने परिवार में जमकर हंगामा हुआ

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Ujjwal Rai
Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy

Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy

Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy: उदयपुर के पूर्व मेवाड़ राजपरिवार में संपत्ति को लेकर झगड़ा हो गया था। इस झगड़े के कारण सिटी पैलेस के बाहर पथराव हुआ था। लेकिन अब यह विवाद सुलझ गया है। विश्वराज सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस के अंदर गए हैं। उन्होंने पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने पवित्र धूणी को नमन किया।

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जब विश्वराज सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस में प्रवेश कर रहे थे, तब उदयपुर में मार्च कर रहे राजपूतों के बड़े समूह ने उन्हें कंधे पर उठा लिया। समझौते के समय लक्ष्यराज को भी शामिल किया गया और उनसे यह आश्वासन लिया गया कि वे या उनके समर्थक कोई समस्या नहीं पैदा करेंगे।

Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy

एकलिंगनाथ जी मंदिर गए थे विश्वराज

बुधवार को लक्ष्यराज सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले बीजेपी विधायक और उनके चचेरे भाई विश्वराज सिंह ने अपने घर पर पत्रकारों से कहा कि धूणी पर जाना उनका अधिकार है, लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोका गया। इससे पहले लक्ष्यराज ने अपने चचेरे भाई विश्वराज सिंह मेवाड़ पर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि दूसरा पक्ष इस मामले का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। अगर किसी को समस्या है, तो वह कानूनी रास्ता अपना सकता है। लेकिन कुछ लोग अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके हमारे घर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

कुर्क की गई थी विवादित जगह

विश्वराज सिंह राजतिलक के बाद सिटी पैलेस (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) के अंदर धूणी के दर्शन करने जा रहे थे, लेकिन ट्रस्ट के मुखिया और सिटी पैलेस में रहने वाले उनके चाचा ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। इस दौरान जमकर बवाल हुआ। इस हंगामे के दौरान एक महिला के सिर पर बोतल लगने से घायल हो गई।

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उदयपुर में सोमवार देर रात करीब 1 बजे प्रशासन ने विवादित जगह (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) को कुर्क कर रिसीवर की भी नियुक्ति कर दी गई है। पैलेस के गेट के बाहर कुर्की का नोटिस भी लगाया गया था, जिसे रात में एक-दो बार बदला गया।

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[caption id="attachment_704657" align="alignnone" width="689"]Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy पैलेस के गेट के बाहर कुर्की का नोटिस लगाया गया[/caption]

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इस घटना (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) के दौरान विश्वराज सिंह मेवाड़ करीब 8 घंटे तक समर्थकों के साथ सिटी पैलेस के बाहर डटे रहे। हालांकि, इस हंगामे के बाद वे रात करीब 1.30 बजे धूणी के दर्शन किए बगैर ही अपने निवास समोर बाग वापिस लौट गए थे।

बढ़ाई गई सुरक्षा

अब पुलिस ने जगदीश चौक से सिटी पैलेस (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) जाने वाले रास्ते को छावनी में बदल दिया है। बता दें कि जगदीश चौक से पैलेस रोड के टर्न पर सोमवार को 4 बैरिकेड्स थे, लेकिन आज वहां उनकी संख्या करीब 8 से ज्यादा कर दी गई है। दरअसल, सोमवार को भीड़ 2 बैरिकेड्स को खींचकर ले गई थी। इसके बाद पुलिस ने आज बैरिकेड्स बढ़ा दिए हैं।

41 सालों से चला आ रहा विवाद

[caption id="attachment_704659" align="alignnone" width="689"]Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक दस्तूर[/caption]

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उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सोमवार (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) को उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई थी। बता दें कि चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में दस्तूर कार्यक्रम के दौरान खून से राजतिलक की रस्म की गई।

493 साल बाद हुआ ऐतिहासिक राजतिलक

मेवाड़ राजपरिवार के इतिहास में 493 साल ऐतिहासिक राजतिलक (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) हुआ। महाराणा बनने के बाद विश्वराज मेवाड़ के 77वें दीवान भी घोषित हुए हैं। इसके रस्म के बाद वे धूणी दर्शन के लिए उदयपुर सिटी पैलेस पहुंचे थे, लेकिन सिटी पैलेस में जाने के गेट बंद कर दिए गए थे।

1983 से चला आ रहा विवाद

[caption id="attachment_704677" align="alignnone" width="689"]publive-image उदयपुर के आखिरी महाराणा भगवत सिंह[/caption]

बता दें कि उदयमुर (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) में ये विवाद 1983 से चला आ रहा है। उदयपुर के आखिरी महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया था और कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी थी। इन प्रोपटीज में लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम शामिल थे।

इसके बाद महाराणा भगवत सिंह के बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 1983 में भगवत सिंह के ऊपर कोर्ट में केस कर दिया था। इस दौरान उनका कहना था कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सब में बराबर बांटा जाए।

दरअसल, रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर आजादी के बाद लागू हुआ था, इसके मुताबिक जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वो राजा बनेगा। यानी कि स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी। हालांकि, इसके जवाब में भगवत सिंह ने कहा कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता। ये इम्पोर्टेबल एस्टेट यानी अविभाजीय है।

इसके बाद भगवत सिंह ने को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया और बड़े बेटे को प्रॉपर्टी से बाहर कर दिया था। उसके कुछ समय बाद ही भगवत सिंह का निधन हो गया था।

कोर्ट में इस विवाद (Udaipur Maharaj Rajtilak Controversy) को लेकर 37 साल बाद फैसला सुनाया गया। साल 2020 में कोर्ट ने कहा कि भगवत सिंह ने अपने जीवनकाल में बेच दी थीं, उन्हें दावे में शामिल नहीं किया जाएगा। इस दौरान संपत्ति का एक चौथाई भगवत सिंह, एक चौथाई महेंद्र सिंह मेवाड़, एक चौथाई बहन योगेश्वरी और एक चौथाई अरविंद सिंह मेवाड़ को दिया गया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि शंभू निवास पर 1 अप्रैल 2021 से 4-4 साल के लिए महेंद्र मेवाड़, योगेश्वरी और अरविंद सिंह रहेंगे।

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