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राजस्थान में इस दिन फाइनल होगा CM का नाम, ये चार ऑप्शन बचा सकते हैं महुआ की सांसदी

राजस्थान में इस दिन फाइनल होगा CM का नाम, इन चार विकल्पों से बच सकती है महुआ की सांसदी

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Bansal News
राजस्थान में इस दिन फाइनल होगा CM का नाम, ये चार ऑप्शन बचा सकते हैं महुआ की सांसदी

जयपुर। गुरुवार को दिल्ली में बीजेपी की बैठक में राजस्थान के सीएम पद को लेकर मं‍थन किया गया। काफी हलचल के बाद में बीजेपी ने एक कदम आगे बढ़ा लिया है और राजस्थान के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति की कर दी गई।

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पार्टी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया। जो अब राज्य में जाकर सीएम पद को लेकर विधायकों से बातचीत करेंगे।

दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना

राजस्थान में जातिगत समीकरणों को साधने के लिए बीजेपी दो उपमुख्यमंत्री बना सकती है। इस बार BJP  राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के हालात पर लगातार मंथन कर रही है और यहां के नेतृत्व में बदलाव के मूड में हैं।

[caption id="attachment_282282" align="alignnone" width="859"]publive-imageबीजेपी संसदीय दल की बैठक[/caption]

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राजस्थान में सीएम पद के दावेदार

राजस्थान में सीएम पद के लिए प्रबल दावेदार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया हैं, इसके अलावा बाबा बालक नाथ, राज्यवर्धन सिंह, दिया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल, अश्विनी वैष्णव और सीपी जोशी भी सीएक पद की रेस में हैं।

सांसदी छिनने के बाद महुआ मोइत्रा बाच ये विकल्प

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की कैश फॉर क्वेरी केस के चलते शुक्रवार को सांसदी रद्द कर दी गई। विपक्षी इसे लोकतंत्र की हत्या बताया, तो वहीं ने बीजेपी आरोप लगा रही है कि महुआ मोइत्रा ने विशेषाधिकार की धज्जियां उड़ाई।

महुआ मोइत्रा के पास अब क्या हैं विकल्प?

[caption id="attachment_282280" align="alignnone" width="859"]publive-imageमहुआ मोइत्रा[/caption]

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सांसदी छिनने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि महुआ मोइत्रा के क्‍या विकल्प हैं, जिससे उन्‍हे राहत मिल सके।  जानकारों की मानें तो महुआ के पास अब चार विकल्प बचे हैं।लेकिन इनसे उन्हें कितनी राहत मिलेगी, यह कह पान संभव नहीं है।

1. महुआ मोइत्रा फैसले को लेकरी संसद से पुनर्विचार करने के लिए अपील कर सकती है। हालांकि ये संसद के विवेक पर निर्भर करता है कि इस मामले पर समीक्षा करनी है या नहीं।

2. इसके अलावा महुआ मौलिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के सीमित मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

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3. महुआ अपनी सदस्‍या बचानके लिए आचार समिति के अधिकार क्षेत्र को भी चुनौती दे सकती हैं।

4. महुआ मानहानि को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से राहत के लिए अपील कर सकती हैं। वे अगर कई लोगों के खिलाफ मानहानि के मामले में यह साबित कर सकती हैं कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार है, तो वह एथिक्स कमेटी के फैसले को चुनौदी दे सकती हैं।

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