Jaggi Hatyakand: हाई कोर्ट के फैसले के बाद रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है। उन्होंने कहा कि फैसले से उनके पिता की आत्मा और जग्गी परिवार को सुकून मिला है। सतीश जग्गी ने कहा कि अमित जोगी को सजा दिलवाने के लिए कानूनी लड़ाई आगे जारी रहेगी।
छत्तीसगढ़ का पहला राजनीतिक जग्गी हत्याकांड (Jaggi Hatyakand) जितना चर्चाओ में रहा, उतना ही चर्चित उसका फैसला भी आया। इस मामले में 31 आरोपियों बनाए गए थे। दो आरोपियों को सरकारी गवाह बनाया गया था। 29 आरोपियों पर केस चला। इस मामले के मुख्य आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को छोड़कर 28 आरोपियों को सजा सुनाई गई थी। इनमें तीन पुलिस अधिकारी भी शामिल थे।
अमित जोगी की बढ़ जाएंगी मुश्किलें
अभियुक्तों की तरफ से वकीलों ने बहस की। उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड (Jaggi Hatyakand) में पर्याप्त सबूत के बिना ही सजा दी गई है तो वहीं, सीबीआइ की ओर से दलील पेश की गई। बताया गया कि किस आधार पर हत्याकांड की जांच कर चार्जशीट तैयार की गई थी।
हाई कोर्ट ने सभी ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अहम फैसला देते हुए, अमित जोगी की अपील को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
क्या थे हत्या से पहले प्रदेश के हालात ?
जब छत्तीसगढ़ अलग प्रदेश बना, तब विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत था। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे आगे रहा था लेकिन, आलाकमान ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस वजह से पहले नाराज चल रहे विद्याचरण पार्टी में अपनी अनदेखी से और ज्यादा नाराज हो गए।
जग्गी की हत्या से कुछ दिन पहले ही एनसीपी की बड़ी रैली होने वाली थी, जिसमें शरद पवार समेत पार्टी के कई बड़े नेता आने वाले थे।
इन दोषियों की अपील पर फैसला
जग्गी हत्याकांड में दोषी अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत), विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर की ओर से अपील की गई थी।
इसमें से कुछ 13 आरोपित जेल में सजा काट रहे हैं। कुछ पैरोल में बाहर हैं।
21 वर्ष पहले मारी गई थी गोली
चार जून, 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। इनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे।
अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा मिली थी। हालांकि बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे।
कौन थे रामअवतार जग्गी (Jaggi Hatyakand)
कारोबारी परिवार के रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे।
शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में एनसीपी का कोषाध्यक्ष बना दिया था।
रायपुर मेयर एजाज ढेबर का भाई है याहया ढेबर
जग्गी हत्याकांड का मुख्य आरोपी याहया ढेबर रायपुर के ढेबर बंधुओं में से एक है। पांच भाइयों में एजाज ढेबर रायपुर के मौजूदा मेयर हैं। वहीं एक भाई अनवर ढेबर शराब कारोबारी है। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला केस में ईडी ने उसे छह मई, 2023 को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। एक दिन पहले ही एसीबी ने फिर गिरफ्तार किया है।
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