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Railway Tracks : आपने ट्रेन से सफर तो किया होगा, किया होगा क्या आप करते होंगे। ट्रेन में सफर करने के दौरान आपने रेल की पटरियों (Railway Tracks) को तो जरूर देखा होगा। आपने गौर किया होगा की पटरी (Railway Tracks) के अगल-बगल में जंग लगी होती है लेकिन पटरी (Railway Tracks) का ऊपरी हिस्सा चमचमाता नजर आता है। पटरी (Railway Tracks) के इस हिस्से पर कभी जंग नहीं लगती। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। तो आइए बताते है कि पटरी (Railway Tracks) के ऊपरी हिस्से पर जंग क्यों नहीं लगती?
आमतौर पर लोहे की चीजों में जंग तब लगती है जब लोहो का सामान हवा में ऑक्सीजन से रिएक्शन करता है। इस रिएक्शन के बाद उस चीज पर एक भूरे रंग की पर्त जम जाती है। यह आयरन ऑक्साइड होता है। जैसे-जैसे पर्त बढ़ती है, जंग का दायरा बढ़ता चलता जाता है। अब बात करते है रेल की पटरी (Railway Tracks) की, रेलवे की पटरियों को खास तरह के स्टील से तैयार किया जाता है। इसे मैंग्नीज स्टील कहते हैं। इस खास तरह के स्टील में 12 फीसदी मैंग्नीज और 0.8 फीसदी कार्बन होता है। पटरी (Railway Tracks) में ये मैटल्स के होने के कारण आयरन ऑक्साइड नहीं बनता और इस तरह पटरियों (Railway Tracks) पर जंग नहीं लगती।
अगर रेलवे की पटरियों (Railway Tracks) को लोहे से तैयार किया जाता तो बारिश के कारण इनमें नमीं बनी रहती। इनमें जंग लग जाता। ऐसा होने के बाद पटरियां (Railway Tracks) कमजोर लेने लगती और इन्हें जल्दी-जल्दी बदलने की नौबत आ जाती। पटरी (Railway Tracks) कमजोर होने के चलते दुर्घनाएं होने की संभावना बनी रहती। इसलिए पटरियों (Railway Tracks) को ऐसे मेटल से तैयार किया गया है, जिससे इसमें जंग नहीं लगती।
आपको बता दें कि भारतीय रेलवे ट्रैक 115,000 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में फैला हुआ। यह एशिया का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारतीय रेलवे ट्रैक की लम्बाई 67,368 किलोमीटर है। देश में सबसे धीमी गति से चलने वाली ट्रेन की रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस ट्रेन का नाम मेटुपालयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन है।
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