/bansal-news/media/post_attachments/wp-content/uploads/2024/07/BBMB.jpg)
Indian Railways: वैसे से तो देश के की हिस्सों में यात्री बिना टिकट रेलवे से यात्रा करते हैं। हालांकि, यह एक गैरकानूनी कदम है। रेलवे से बिना टिकट यात्रा करना दंडनीय अपराध है। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसी भी ट्रेन है जिसमें यात्री कानूनी तरीके से फ्री में सफर कर सकते हैं। जी हां, सही सुना आपने भारत में एक मात्र ऐसी ट्रेन हैं जिसमें यात्री बिना टिकट, मुफ्त में यात्रा करते हैं।
कहां से कहां तक चलती है यह ट्रेन
यह ट्रेन हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है। यह ट्रेन नंगल से भाखड़ा बांध तक चलती है। इस ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट नहीं लेना पड़ता है। इस ट्रेन से 25 गांवों के लोग पिछले करीब 73 साल से फ्री में सफर कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक तरफ देश की सभी ट्रेनों के टिकट के दाम बढ़ाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ लोग इस ट्रेन में फ्री में सफर क्यों करते हैं और रेलवे इसकी इजाजत कैसे देता है?
[caption id="attachment_100725" align="alignnone" width="1206"]
Indian Railways[/caption]
इस कारण से चलाई जाती है ट्रेन
बता दें कि इस ट्रेन को इसलिए चलाया जाता है ताकि देश की भावी पीढ़ी यह जान सके कि देश का सबसे बड़ा भाखड़ा डैम कैसे बना था। उन्हें मालूम हो कि इस डैम को बनाने में किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कौन-कौन सी चुनौतियां आदि इसको बनाने में आईं थी। बीबीएमबी इस ट्रेन का संचालन करता है। सबसे पहले इस ट्रेन को चलाने के लिए BBMB (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) ने चट्टानों को काटकर दुर्गम रास्तों का निर्माण किया था, ताकि निर्माण सामाग्री को डैम तक पहुंचाया जा सके।
73 वर्षों से चल रही है यह ट्रेन
पिछले 73 वर्षों से चल रही इस ट्रेन को पहली बार साल 1949 में चलाया गया था। इस ट्रेन के जरिए 25 गांव के 300 लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं। इस ट्रेन का सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होता है। ट्रेन नंगल से डैम तक चलती है और दिन में दो बार सफर तय करती है। ट्रेन की खास बात ये है कि इसके सभी कोच लकड़ी के बने हैं। इसमें न तो कोई हॉकर और न ही आपको इसमें टीटीई मिलेगा।
[caption id="attachment_100726" align="alignnone" width="1260"]
Indian Railways[/caption]
डीजल इंजन से चलती है ट्रेन
यह ट्रेन डीजल इंजन से चलती है। एक दिन में इस ट्रेन में 50 लीटर डीजल की खपत होती है। जब एक बार इसका इंजन स्टार्ट हो जाता है तो भाखड़ा से वापिस आने के बाद ही बंद होता है। इसके अंदर बैठने के लिए भी लकड़ी के ही बेंच लगे हैं। इस ट्रेन के माध्यम से भाखड़ा के आसपास के गांव बरमला, ओलिंडा, नेहला, भाखड़ा, हंडोला, स्वामीपुर, खेड़ा बाग, कालाकुंड, नंगल, सलांगड़ी, लिदकोट, जगातखाना, परोईया, चुगाठी, तलवाड़ा, गोलथाई के लोगों का यहां आने जाने का एक मात्र साधन है।
क्योंकि अगर यह लोग बसों के माध्यम से अपने गांवों में आते हैं तो या तो इन्हें बाया ऊना, मेहतपुर आना पड़ता है। जिससे इनका सफर काफी लंबा हो जाता है। वहीं यह लोग नंगल में आने के लिए वाया मेहतपुर में आते हैं तो उन्हें नंगल की दूरी 20 किलोमीटर पड़ती है।
ट्रेन दिन में दो बार फेरी देती है
सुबह 7:05 पर ये ट्रेन नंगल से चलती है और लगभग 8:20 पर ये ट्रेन भाखड़ा से वापस नंगल की ओर आती है। वहीं दोपहर में एक बार फिर 3:05 पर ये नंगल से चलती है और शाम 4:20 पर ये भाखड़ा डैम से वापस नंगल को आती है। नंगल से भाखड़ा डैम पहुंचने में ट्रेन को लगभग 40 मिनट लगते है। जब ट्रेन को शुरू किया गया था तब इसमें 10 बोगीयां चलती थीं, लेकिन अब इसमें केवल 3 ही बोगीयां हैं। ट्रेन नंगल से चलने के बाद लेबर हट स्टेशन, पीआरओ, बरमला, नेहला, ओलिंडा स्टेशनों पर रुकती है। इस ट्रेन में एक डिब्बा पर्यटकों के लिए और एक महिलाओं के लिए आरक्षित है।
बीबीएमबी देता है बजट
मालूम हो कि डैम के लिए बीबीएमवी जमीन का अधिग्रहण किया गया था उस समय मैनेजमेंट ने स्थानीय लोगों से वादा किया था कि उनकी सुविधा के लिए यह ट्रेन हमेशा चलती रहेगी। लोगों से किए गए वादे को आज भी बीबीएमवी निभा रहा है। ट्रेन चलाने चलाने के लिए प्रतिवर्ष बजट का निर्धारण किया जाता है। प्रत्यक वर्ष करीब 57 लाख रूपए का बजट रखा जाता है।
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें