नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले में सोमवार को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता और तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी तथा उनके बेटे एवं सांसद गौतम सिगमनी के परिसरों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि राजधानी चेन्नई के अलावा विल्लुपुरम में भी पिता-पुत्र के परिसरों पर तलाशी ली जा रही है। सत्तारूढ़ द्रमुक ने छापेमारी को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है। उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी (72) विल्लुपुरम जिले की तिरुक्कोयिलुर विधानसभा सीट से विधायक हैं, जबकि उनके बेटे सिगमनी लोकसभा में कल्लाकुरिची सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
क्या था मामला
धन शोधन का यह मामला 2007 से 2011 तक बरती गई कथित अनियमितताओं से जुड़ा है, जब पोनमुडी तमिलनाडु के खनन मंत्री थे। उन पर खदान लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन के आरोप लगे थे और इससे सरकारी खजाने को लगभग 28 करोड़ रुपये का नुकसान होने का दावा किया गया था।
राज्य पुलिस ने मंत्री और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के इन आरोपों की जांच के लिए एक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद सिगमनी ने राहत के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, लेकिन जून में अदालत ने सुनवाई पर रोक से इनकार कर दिया था। मंत्री पर अपने बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए खनन/खदान लाइसेंस प्राप्त करने और लाइसेंसधारियों पर तय सीमा से अधिक बालू के उत्खनन करने का आरोप है।
पार्टी ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध
ईडी ने यह छापेमारी उस दिन की है, जब द्रमुक अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन बेंगलुरु में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं।
सत्तापक्ष ने दावा किया कि स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और ईडी द्वारा की जा रही छापेमारी का उद्देश्य पार्टी को ‘डराना’ है। द्रमुक प्रवक्ता ए सरवनन ने कहा, ‘‘यह राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई है और इसका उद्देश्य द्रमुक के संकल्प को तोड़ना है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि गुटखा घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के मामलों में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ईडी ने हाल ही में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के मंत्रिमंडल के एक अन्य मंत्री सेंथिल बालाजी पर भी इसी तरह की कार्रवाई की थी। इससे पहले, परिवहन मंत्री सेंथिल बालाजी को कथित नौकरी के बदले नकद धन राशि से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस समय भी स्टालिन और द्रमुक ने बालाजी के खिलाफ कार्रवाई को केंद्र की ‘डराने-धमकाने की राजनीति’ बताया था।
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