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रविवार को राहुल गांधी ने एआईसीसी हेडक्वार्टर में मध्यप्रदेश के चुने हुए जिलाध्यक्षों को संबोधित किया.. इस दौरान उन्होंने एक ऐसा बयान दिया.. जिससे सियासी गलियारों में कानाफूसी शुरू हो गई है.. दरअसल पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कहा कि- 2028 के विधानसभा चुनाव में टिकट देने में जिलाध्यक्षों की भी सलाह ली जाएगी.. इसके बाद ये चर्चाएं शुरू हो गई है कि, क्या जिन विधायकों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है, इस बार उनका टिकट कटेगा... दरअसल कांग्रेस ने 6 जिलों में अपने विधायकों को अध्यक्ष बनाया है.. इसमें राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह, तराना विधायक महेश परमार, बैहर विधायक संजय उईके, डिंडौरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम, सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह और सिलवानी विधायक देवेंद्र पटेल शामिल हैं.... अगर ऐसा हुआ तो जिन 71 नेताओं को अध्यक्ष बनाया गया है... उन्हें भी विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा.. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो अभी विधानसभा चुनाव में करीब 3 साल का वक्त है... अगर जिलाध्यक्षों का टिकट कटा भी तो उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान एडजस्ट किया जाएगा.. बहरहाल, अगर कांग्रेस जिलाध्यक्षों के टिकट काटती है तो एक बार फिर बगावती और विरोधी सुर उठ सकते हैं... हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी इस तरह का कड़ा फैसला नहीं लेगी.. जिससे उसे नुकसान उठाना पड़े... उधर बैठक में 71 जिलाध्यक्षों से बातचीत में राहुल ने साफ कहा कि, जो अच्छा प्रदर्शन करेगा, वो आगे बढ़ेगा... कोई कितना ही बड़ा नेता क्यों ना हो, उसे जिलाध्यक्ष की बात माननी ही पड़ेगी...
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