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Radhabinod Pal: कहानी उस भारतीय जज की, जिन्हें जापान के लोग भगवान मानते हैं

Radhabinod Pal: कहानी उस भारतीय जज की, जिन्हें जापान के लोग भगवान मानते हैंRadhabinod Pal: The story of the Indian judge whom the people of Japan consider to be God nkp

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Bansal Digital Desk
Radhabinod Pal: कहानी उस भारतीय जज की, जिन्हें जापान के लोग भगवान मानते हैं

नई दिल्ली। आपने शायद ही कभी 'राधाबिनोद पाल' के बारे में सुना होगा। घबराइए नहीं, आप कोई अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो इस महान शख्स को नहीं जानता। बहुत सारे ऐसे भारतीय हैं, जो न तो इन्हें जानते हैं और न ही इन्हें पहचानते हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन्हें जापान में सभी लोग जानते हैं। वहां इनकी पूजा की जाती है। जापान के लोग इन्हें भगवान की तरह पूजते हैं।

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कौन थए राधाबिनोद पाल

जापान के यासुकुनी मंदिर और क्योतो के र्योजेन गोकोकु देवालय में इनकी याद में स्मारक का निर्माण कराया गया है। दरअसल, 27 जनवरी 1886 को तत्कालीन बंगाल में जन्में राधाबिनोद पाल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भारतीय विधिवेत्ता और न्यायाधीश थे। उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और कोलकता विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ली थी। इसके बाद वे 1923 से 1936 तक इसी कॉलेज में अध्यापक भी रहे थे। साल 1941 में उन्हें कोलकाता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इसके अलावा वह अंग्रेजों के सलाहकार भी रहे थे।

इस कारण से पूजते हैं जापानी

दरअसल, राधाबिनोद पाल को द्वितीय विश्वRadhabinod Pal: कहानी उस भारतीय जज की, जिन्हें जापान के लोग भगवान मानते हैंयुद्ध के बाद जापान द्वारा किए गए युद्ध अपराधों के खिलाफ चलाए गए अंतराष्ट्रीय मुकदमे जिसे 'टोक्यो ट्रायल्स' के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भारतीय जज बनाया गया था। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें भारत का प्रतिनिधि बनया था। इस केस में कुल 11 जज थे। लेकिन राधाबिनोद पाल इकलौते ऐसे जज थे, जिन्होंने ये फैसला किया था कि सभी युद्ध अपराधी निर्दोष हैं। इन युद्धबंदियों में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री हिदेकी तोजो सहित 20 से ज्यादा नेता और सैन्य अधिकारी शामिल थे।

पाल ने कानून को जबरदस्ती बताया था

न्यायाधीश पाल ने अपने फैसले में लिखा था कि किसी घटना के घटित होने के बाद उसके बारे में कानून बनाना उचित नहीं है और इसीलिए उन्होंने युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने को विश्वयुद्ध के विजेता देशों की जबरदस्ती बताते हुए सभी को छोड़ने का फैसला सुनाया था। हालांकि, बाकि जजों ने इन युद्धबंदियों को मृत्युदंड का फैसला सुनाया था। यही वजह है कि जापान में आज भी राधाबिनोद पाल को एक महान व्यक्ति की तरह सम्मान दिया जाता है। साल 2007 में जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आए थे, तो उन्होंने राधाबिनोद पाल के बेटे से कोलकाता में मुलाकात भी की थी।

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