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Court Fines Paytm: Paytm के खिलाफ एक बार फिर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ा एक्शन लिया है। पेटीएम के खिलाफ इस बार पुणे की एक जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ये एक्शन लिया है।
दरअसल, पेटीएम ने एक किराना दुकानदार का खाता फ्रीज कर दिया था, जिसके बाद पुणे की कंज्यूमर कोर्ट ने उनपर 12 हजार रुपये का जुर्माना ठोका है।
हालांकि शिकायत के बाद खाते को अनफ्रीज कर दिया गया था। लेकिन पहली बार में पेटीएम दुकानदार के खाते को फ्रीज करने की वजह को बताने में असमर्थ रहा था।
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष अनिल बी जावलेकर और सदस्य सरिता एन पाटिल ने 7 मई के आदेश में कहा कि आयोग कि राय है कि भले ही दूसरे पक्ष ने शिकायतकर्ता के पेटीएम खाते को दो महीने के बाद डीफ्रीज कर दिया, लेकिन वे पीड़ित के खाते को फ्रीज करने का ठोस वजग बनाने में नाकाम रहे हैं। शिकायतकर्ता को इस कार्रवाई के कारण बहुत नुकसान झेलना पड़ा है।
अकाउंट में थे 62 हजार रुपये
किराना दुकानदार ने आयोग में शिकायत करते हुए बताया कि उनके खाते में उस समय 62 हजार 633.94 रुपये थे, जो 13 जून 2022 को बिना की कारण के फ्रीज कर दिया गया था। उन्होंने इसकी पेटीएम से जाननी चाही, लेकिन वह उन्हें इसकी कोई भी पुख्ता वजह बताने में असमर्थ रहे, जिसकी वजह से उन्होने कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखाटाया।
मानसिक उत्पीड़न का मांगा मुआवजा
हालांकि, शिकायतकर्ता की शिकायत के बाद पेटीएम ने खाता अनफ्रीज कर दिया था, लेकिन उन्होंने पेटीएम पर मानसिक उत्पीड़न और सेवा में कमी के लिए मुआवजे की मांग की।
आयोग ने दिया यह जवाब
शिकायतकर्ता की सुनवाई करते हुए आयोग ने कहा कि खाता करीबन 2 महीने तक बंद रहा था। शिकायतकर्ता ने आयोग में अपनी शिकायत देने से पूर्व स्वयं भी इस समस्या का निवारण करने का प्रयास किया था। आयोग ने आगे कहा कि यह भी देखा गया है कि शिकायतकर्ता ने शिकायत का निवारण करने के लिए पेटीएम से भी संपर्क किया था, लेकिन उन्हें इसका कोई समाधान नहीं मिला।
आयोग ने मानी पेटीएम की कमी
इसके बाद आयोग ने कहा कि खाता अनफ्रीज कर दिया गया है, लेकिन फ्रीज होने की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई थी। इसके लिए आयोग ने पेटीएम सेवाओं कमी मानी और फटकार लगाई।
5 प्रतिशत ब्याज दर के हकदार
फटकार के बाद आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शिकायतकर्ता खाता फ्रीज होने से वह अपना पैसा बैंक मे नहीं डाल पाए थे, अगर उनका पैसा बैंक में जमा होता तो वह 5 प्रतिशत वर्ष की दर से ब्याज पाने का हकदार थे।
इसके के बाद आयोग ने पेटीएम को आदेश दिया कि वह 45 दिन के अंदर ब्याज का भुगतान करें। साथ ही दुकानदार को मानसिक पीड़ा देने के लिए उन्हें 7 हजार रुपये और केस खर्च के लिए उन्हें 5 हजार रुपये का भुगतान करें।
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