नई दिल्ली। कई लोग कोरोना से तो ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं दिक्कतों में से एक आम समस्या है फेफड़ों में सिकुड़न पैदा हो जाना। डॉक्टरी भाषा में इसे ‘फाइब्रोसिस’ कहते हैं। इसकी वजह से कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को सांस लेने में परेशानी महसूस होती है। इस तरह के कई मामले अब सामने आ रहे हैं। ऐसे में अगर आप कोरोना से ठीक हो गए हैं तो जरूरी है कि आप अपने शरीर में होने वाले हर एक बदलाव पर नजर रखें।
इन पांच लक्षणों पर नजर रखें
1. सांस लेने में परेशानी, 2. बहुत थकान महसूस होना, 3. ऑक्सीजन लेवल में काफी उतार-चढ़ाव, 4. कुछ दूर चलने पर सांस फूल जाना, 5. सूखी खांसी
फाइब्रोसिस क्या होता है?
दरअसल, कोविड संक्रमण के कारण फेफड़ो के नाजुक हिस्सों को नुकसान पहुंचता है और उनमें झिल्ली बन जाती है। इससे फेफड़ों की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। यह समस्या कई लोगों में संक्रमण से उबरने के बाद भी होती है। जिसे फाइब्रोसिस कहते हैं। फेफड़े अगर सही से काम नहीं करेंगे तो जाहिर सी बात है कि शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन-डाइऑक्साइड का संतुलन गड़बड़ाने लगेगा। ऐसे में अगर इसे समय रहते ठीक नहीं किया गया तो ये जीवनभर का रोग बन सकता है।
फाइब्रोसिस का किन्हें है ज्यादा खतरा
अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन के मुताबिक, जो मरीज मोटापा, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज इत्यादि से पीड़ित रहे हों उनको पल्मोनरी फाइब्रोसिस का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रह चुके लोगों में भी इसका खतरा होता है। ज्यादातर यह समस्या 60 साल से अधिक आयु के मरीजों में देखने को मिलती है, लेकिन युवा मरीज भी इसके शिकार हो सकते हैं।
तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क
अगर आप कोविड से ठीक हो चुके हैं। लेकिन थोड़ा बहुत चलने पर भी थकान महसूस हो रहा है या सांस फूलने लगती है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वहीं अगर आप खांस या छींक रहे हैं और उस वक्त आपके छाती में दर्द होता है तो भी हो सकता है कि आप पल्मोनरी फाइब्रोसिस के शिकार हुए हो। इसलिए जरूरी है कि आप जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लें।