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हाइलाइट्स
समय पर पूरी नहीं की परियोजना।
महंगी दरों पर खरीदनी पड़ी बिजली।
CAG रिपोर्ट में सिंगाजी पावर प्लांट को नुकसान।
Singaji Thermal Power Plant: मध्यप्रदेश के खंडवा में स्थित सिंगाजी पावर प्लांट के निर्माण और संचालन में बड़ी गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। जिसमें सरकार को 2 हजार करोड़ से ज्यादा नुकसान हुआ है। इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक CAG की रिपोर्ट में हुआ। बता दें, कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कैग की इस रिपोर्ट को गुरुवार 8 फरवरी को विधानसभा में प्रस्तुत किया। रिपोर्ट मार्च 2021 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष को आधार मानकर तैयार की गई।
वहीं कैग (CAG) ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना को लेकर भी अपनी रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि सरकार ने नर्मदा के पानी को क्षिप्रा में छोड़ कर बारहमासी नदी में बदलने की कोशिश की। रिपोर्ट में लिखा है, कि सरकार अपने लक्ष्य से पूरी तरह से भटक गई है। इसके साथ ही CAG ने क्षिप्रा को साफ करने के लिए सरकार के प्रयासों को भी नाकाफी बताया।
खास बात ये है, कि CM डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में क्षिप्रा को सतत प्रवाह मान बनाए रखने के लिए एक नया प्राधिकरण बनाने की घोषणा की है। साथ ही कहा था कि इस प्रयास से सिंहस्थ 2028 में और भी सुंदर हो जाएगा। लेकिन विधानसभा में पेश CAG की रिपोर्ट ने अब तक की सरकारी कोशिशों को कटघरे में खड़ा कर दिया। इसके अलावा CAG ने PHE और वन विभाग की योजनाओं पर भी सवाल उठाए हैं।
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CAG की रिपोर्ट में कहा
रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के सिंगाजी पावर प्लांट के निर्माण 2009 से लेकर 2021 तक संचालन के दौरान नियमानुसार ठेकेदारों को अग्रिम भुगतान से कोयले के स्टॉक में कमी आई, जिसकी वजह से बड़ा नुकसान हुआ। प्लांट के निर्माण में देरी होने के कारण बिजली की कमी को पूरा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर से बिजली महंगी खरीदी गई।
CAG रिपोर्ट बिंदु
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा ठेकेदार को अग्रिम भुगतान में देरी की, जिसकी वजह से MP विद्युत नियामक आयोग ने निर्माण अवधि का ब्याज और आकस्मिक व्यय की राशि 215 करोड़ रुपए का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।
प्लांट की यूनिट के शुरू होने की तारीख से काफी पहले कंपनी ने जल आपूर्ति एग्रीमेंट कर 67 करोड़ का भुगतान किया। जो कि गैरजरूरी था।
प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की, समय पर फ्यूल लिंकेज की अनुमति नहीं लेने की वजह से 120 करोड़ रुपए छोड़ना पड़े।
प्लांट के संचालन के लिए कंपनी को जो आवश्यक सुविधाएं जुटानी चाहिए थीं, वो नहीं जुटाईं। जिसकी वजह से उत्पादन नुकसान के अतिरिक्त 1055 करोड़ स्थायी लागत की वसूली नहीं हो पाई।
परियोजना निर्धारित समय पर पूरी नहीं होने की वजह से महंगी दरों पर बिजली खरीदने में 102 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा।
PHE में ठेकेदार को अनियमित भुगतान
CAG ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग के अधीन जल निगम द्वारा चलाई जा रही 58 योजनाओं में से 18 की जांच की। जसमें सामने आया, कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में गलत व्यय, गांव के सभी घरों को शामिल नहीं करने, गलत प्राक्कलन, ओवर हेड टैंक बनाने के लिए गलत दर पर काम देने और ठेकेदार से अतिरिक्त बैंक गारंटी प्राप्त करने में लापरवाही करने की वजह से सरकार को 283 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
कैंपा फंड में घोटला
रिपोर्ट के अनुसार, कैंपा फंड के अंतर्गत वनीकरण के लिए गलत जगह का चयन और खरपतवार उन्मूलन पर अनुचित खर्च किया गया है। इससे सरकार को 364 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बताया गया है, कि CAG ने 2017-18 से 2019-20 के बीच 17 वन मंडलों की जांच की गई थी। जिसमें वन भूमि के डायवर्जन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने, प्राधिकार के बिना वन भूमि का अनियमित डायवर्जन, डायवर्ट वन भूमि के उपयोग में अनियमितता सहित कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं।
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नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना की CAG रिपोर्ट
कैग (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, कि सरकार की कई एजेंसियों के हस्तक्षेप के बावजूद क्षिप्रा नदी प्रदूषित बनी हुई है। इस पवित्र नदी को देवास, इंदौर और उज्जैन शहर का कचरा मार रहा है। भूजल की अंधाधुंध निकासी से भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है। जिस कारण से नदी सूख रही है।
सरकार ने इसे बचाने के लिए नदी के तटों पर पेड़ लगाने की योजना तो बनाई, लेकिन इसमें भी गड़बड़ी पाई गई। वहीं सीवरेज नेटवर्क, नालों, सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट, सड़कों और दूसरे सिविल काम में भी बड़ी अनियमितता की तरफ इशारा किया है।
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