नई दिल्ली। (भाषा) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने शनिवार को आरोप लगाया कि ऑक्सीजन की ‘मॉकड्रिल’ के कारण कई मरीजों की कथित तौर पर मौत होने के मामले में आगरा के एक निजी अस्पताल को क्लीन चिट देकर उत्तर प्रदेश सरकार ने मरीजों के परिजन की गुहार को अनसुना कर दिया और न्याय की उम्मीद खत्म कर दी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘विडंबना देखिए। खबरों के अनुसार, आगरा में अस्पताल ने मरीजों की ऑक्सीजन बंद करके ‘मॉकड्रिल’ की और भाजपा सरकार ने क्लीन चिट देकर जांच की ‘मॉक ड्रिल’ कर दी। सरकार और अस्पताल: दोनों का रास्ता साफ।’’
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने आरोप लगाया कि मरीजों के परिजनों की गुहार को अनसुना कर सरकार ने न्याय की उम्मीद को तोड़ दिया। गौरतलब है कि आगरा के इस मामले की जांच के लिए गठित चिकित्सकों की एक टीम ने अस्पताल को क्लीनचिट देते हुए कहा कि इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान इस अस्पताल में ऑक्सीन की आपूर्ति बंद कर दी गई जिससे 22 मरीजों की मौत हो गई।
15 से 25 अप्रैल के बीच 16 मौतें दिखाई गईं
जांच रिपोर्ट में डेथ ऑडिट की रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। इसमें बताया गया कि एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. त्रिलोक चंद पीपल, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. ऋचा गुप्ता और ACMO डॉ. पीके शर्मा ने अस्पताल में 15 से 25 अप्रैल के बीच होने वाली मौतों का ऑडिट किया। इस दौरान कुल 16 मौतें बताईं गई हैं। इनमें सभी मृतकों को कोरोना के साथ अन्य बीमारी भी बताई गई हैं।
#UPDATE | It’s not at all true that 22 patients died after oxygen supply was cut off for a mock drill. No one’s oxygen was cut off for a drill nor is there any proof of it. It’s a misleading information, or else 22 people would have died on April 26: Death Audit Committee https://t.co/vERcDlldpg
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 18, 2021
क्या है मामला ?
7 जून को पारस अस्पताल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन का एक वीडियो सामने आया था। इसमें अरिंजय कबूल कर रहे हैं कि उन्होंने ऑक्सीजन बंद करके 5 मिनट में 22 लोगों की जिंदगी छीन ली थी। आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने उसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 26 अप्रैल की रात अस्पताल में महज 3 मौतें हुई थीं। उन्होंने ऑक्सीजन की कमी से कोई भी जान न जाने की बात कही। लेकिन उसके बाद से अब तक 26-27 अप्रैल की रात पारस अस्पताल में जान गंवाने वाले 11 मृतकों के परिजन सामने आ चुके थे। इसके बावजूद जांच कमेटी ने इन 11 मृतकों के परिजन से बात करना जरूरी नहीं समझा।