असम। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने असम के चाय बागान (Priyanka Gandhi In Assam) में महिला श्रमिकों के साथ कुछ खुशनुमा पल बिताये । प्रियंका ने पारंपरिक ‘मेखला चादर’, पहनकर ‘झुमुर’ नृत्य करने का प्रयास किया और यह सीखने में दिलचस्पी दिखाई कि चाय के पत्तों को अपनी पीठ पर रखी टोकरी में कैसे आसानी से कैसे डाला जाता है। उन्होंने चाय बागान में काम करने वाले समुदायों के मतदाताओं के साथ चाय की चुस्की भी ली। इन समुदायों में मुंडा, संथाल, कुरुख (उरांव), गोंड, भूमिज और कई अन्य जनजातियां हैं, जिनका झारखंड में काफी राजनीतिक प्रभाव है।प्रियंका ने महिला श्रमिकों से कहा, ‘‘यह राजनीतिक दलों का धर्म हैं के वे उन वादों को पूरा करें जो उन्होंने चुनावों के दौरान आपके पास आकर किये थे।
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तीन लाख से अधिक किसान धरने पर बैठे
आपके पास वोट देने और उस सरकार को सबक सिखाने (Priyanka Gandhi In Assam)की शक्ति है जो अपने वादे को पूरा नहीं करे। हमने 365 रुपये न्यूनतम दैनिक मजदूरी का वादा किया है।’’ उन्होंने दिल्ली के सीमा बिंदुओं पर किसानों के आंदोलन के बारे में भी बात की।कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘पिछले दो महीनों से तीन लाख से अधिक किसान धरने पर बैठे हैं, जहां प्रधानमंत्री रहते हैं, उससे बमुश्किल चार से पांच किलोमीटर दूर, लेकिन वह उनसे मिलने नहीं गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वह उनसे एक बार मिलने चले जाएं, बात करें और यदि किसानों को कानूनों से दिक्कत है तो उनके लाभ के लिए उसमें बदलाव करें ।
आप असम, अपने अस्तित्व व माटी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा के हम दो, हमारे दो के नारे ने असम के জয় আই অসম के नारे को दबाने की कोशिश की।
युवा बेरोजगार हैं, ऑयल फील्ड्स, एयरपोर्ट बेचे जा रहे हैं, उद्योग खत्म किए जा रहे हैं।
हम वादे नहीं; गारंटी कर रहे हैं
हम आपके साथ हैं pic.twitter.com/QoTyXB2NBt— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) March 2, 2021
देश की छवि को खराब करने की साजिश
सरकार की नीतियां अमीरों और शक्तिशाली लोगों के लिए हैं, न कि आम लोगों के लिए नहीं’’चाय सुबह पिया जाने वाला दुनिया का सबसे पसंदीदा पेय है। यह ‘चाय’ असम में चुनावी विमर्श का हिस्सा रहा है, यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने भाषणों इसका उल्लेख किया है। पिछले महीने असम के चुनावी दौरे पर गए मोदी ने कहा था कि देश की छवि को खराब करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश रची जा रही है, यहां तक कि षड्यंत्रकारी भारतीय चाय तक को नहीं छोड़ रहे हैं। मोदी ने कहा था, ‘‘भारत को बदनाम करने की साजिश रचने वाले लोग इतने नीचे गिर गए हैं कि वे भारतीय चाय को भी नही बख्श रहे हैं।’’
चाय बागान के श्रमिकों का जीवन सच्चाई एवं सादगी से भरा हुआ है एवं उनका श्रम देश के लिए बहुमूल्य है।
आज उनके संग बैठकर उनके कामकाज, घर परिवार का हालचाल जाना और उनके जीवन की कठिनाइयों को महसूस किया।
उनसे मिला प्रेम और ये आत्मीयता नहीं भूलूँगी pic.twitter.com/i99byrBtXn
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) March 2, 2021
श्रमिकों को 167 रुपये दिहाड़ी मिलती हैं
मोदी का परोक्ष तौर पर इशारा उस टूलकिट की ओर था जो पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ट्वीट किया था।राहुल गांधी ने शिवसागर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘’असम के चाय बागान श्रमिकों को 167 रुपये दिहाड़ी के रूप में मिलते हैं, जबकि गुजरात के व्यापारियों को चाय बागान मिलते हैं। हम चाय बागान मज़दूरों का दैनिक वेतन बढ़ाकर 365 रुपये प्रतिदिन करेंगे। पैसा कहाँ से आएगा? यह गुजरात के व्यापारियों से आएगा?’’भाषा . अमित उमाउमा