हाइलाइट्स
11वीं में फेल, फिर 3 बार MPPSC क्लीयर
MP में डिप्टी कलेक्टर प्रियल के संघर्ष की कहानी
किसान की बेटी ने ऐसे पूरा किया अपना सपना!
Priyal Yadav Success Story: प्रदेश की हरदा की रहने वाली प्रियल यादव सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहती हैं. 2019 में उन्होंने एमपीपीएससी की परीक्षा दी थी। उसका रिजल्ट 2023 के अंत में आया है, इसमें प्रियल यादव (Priyal Yadav Success Story) का रैंक 19 आया था.
इससे पहले 2020 में भी प्रियल यादव का सिलेक्शन हुआ था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि फेल होने के बाद आप हताश नहीं हो.
11 वीं में फेल होने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी लगातार कोशिश की और बस फिर क्या था.. किसान की बेटी प्रियल यादव ने लगातार तीन बार एमपीपीएसी का एग्जाम क्रेक कर लिया.
उन्होंने 2023 एमपीपीएससी एग्जाम में 6वीं रैंक हासिल की और टॉप 10 में जगह बनाई है. हरदा जिले ग्रामीण इलाके से आने वालीं प्रियल यादव का परिवार बेहद सामान्य है.
उनके पिता एक किसान हैं, और मां एक हाउस वाइफ हैं. उनकी मां आठवीं क्लास पढ़ी हैं, वहीं पिता सिर्फ तीसरी कक्षा तक प्रियल यादव की स्कूलिंग की बात करें तो 10वीं क्लास तक उन्होंने हर बाल टॉप किया.
लेकिन जब वो 11 वीं क्लास में पहुंची तो परिवार ने उन्हें पीसीएम (Priyal Yadav Success Story) यानी फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स सब्जेट लेने की सलाह दी, हालांकि उस वक्त उन्हें इन सब्जेक्ट में बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नहीं था, नतीजा ये हुआ कि वो 11वीं क्लास में फेल हो गई.
फेल होने के बाद प्रियल यादव बेहद निराश हो गईं, लेकिन उन्होंने न हार मानी और न ही अपने सपने को पीछे छोड़ा. दरअसल प्रियल ने जब पहली बार पीएससी का एग्जाम दिया तो वे प्रीलिम्स में सफल नहीं हो पाईं थीं.
उन्होंने अपना प्लान बदला और एक बार फिर (Priyal Yadav Success Story) तैयारी में जुट गईं. इस दौरान उन्होंने 17 से 18 घंटे तक पढ़ना शुरु किया. प्रियल यादव की ये मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2019 के MPPSC एग्जाम में 19वीं रैंक हासिल करते हुए डिस्ट्रिक्स रजिस्ट्रार बनीं.
हालांकि प्रियल इससे खुश नहीं थीं…जिसके बाद वो एक बार फिर पढ़ाई में जुट गई. अगले साल MPPSC 2020 में उनकी 34वीं रैंक आई और उन्हें सहकारिता विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद के लिए चुना गया.
लेकिन प्रियल यादव का सपना तो कुछ और ही था. जिसके चलते प्रियल (Priyal Yadav Success Story) ने 2021 में फिर परीक्षा दी और 6वीं रैंक लाकर डिप्टी कलेक्टर बन गईं.