नई दिल्ली। प्रीति जिंटा आज सुबह से ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं। दरअसल 46 साल की उम्र में जिंटा जुड़वा बच्चों की मां बनी हैं। फैंस उन्हें बधाईयां दे रहे हैं। बता दें कि प्रीति जिंटा सेरोगेसी के सहारे मां बनी हैं। सरोगेसी से मां बनने की लिस्ट में जींटा अकेली नहीं हैं। बॉलीवुड के कई कपल इससे पहले भी सरोगेसी से परेंट्स बन चुके हैं। इस लिस्ट में शिल्पा शेट्टी, शाहरूख खान, आमिर खान, करण जौहर, एकता कपूर, तुषार कपूर जैसे कई स्टार शामिल हैं। आइ जानते हैं आखिर ये सरोगेसी क्या होती है और देश में इसके क्या नियम हैं।
सरोगेसी क्या है?
बतादें कि हाल ही में आई फिल्म मिमी को अगर आपने देखा होगा तो काफी हद तक आप सेगोगेसी को समझ सकते हैं। अगर नहीं देखा है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं। सरोगेसी में कोई भी शादीशुदा कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर ले सकता है। सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है। सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के पीछे कई वजहें हैं। जैसे कि अगर कपल के अपने बच्चे नहीं हो पा रहे हों, महिला की जान को खतरा है या फिर कोई महिला खुद बच्चा पैदा ना करना चाह रही हो। जो औरत अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालती है, वो सरोगेट मदर कहलाती है। सरोगेसी में एक महिला और बच्चे की चाह रखने वाले कपल के बीच एक एग्रीमेंट किया जाता है। इसके तहत, इस प्रेग्नेंसी से पैदा होने वाले बच्चे के कानूनन माता-पिता वो कपल ही होते हैं, जिन्होंने सरोगेसी कराई है। सरोगेट मां को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं ताकि वो गर्भावस्था में अपना ख्याल रख सके।
दो तरह की होती है सरोगेसी
सरोगेसी भी दो तरह की होती है। पहली सरोगेसी को ट्रेडिशनल सरोगेसी कहते हैं जिसमें होने वाले पिता का स्पर्म सरोगेसी अपनाने वाली महिला के एग्स से मैच कराया जाता है। इस सरोगेसी में जेनिटक संबंध सिर्फ पिता से होता है। वहीं दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी होती है। इसमें होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है।
भारत में सरोगेसी के नियम
सरोगेसी के दुरुपयोग को देखते हुए अब भारत में इसे लेकर तमाम नियम तय कर दिए गए हैं। पहले ज्यादातर गरीब महिलाएं आर्थिक दिक्कतों के चलते सरोगेट मदर बनती थीं। सरकार की तरफ से इस तरह की कॉमर्शियल सरोगेसी पर लगाम दी गई है। 2019 में ही कॉमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिसके बाद सिर्फ मदद करने के लिए ही सरोगेसी का ऑप्शन खुला रह गया है। कॉमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने के साथ ही नए बिल में अल्ट्रस्टिक सरोगेसी को लेकर भी नियम-कायदों को सख्त कर दिया गया था।
पूरी तरह फिट महिला ही कर पाती है सरोगेसी
इसके तहत विदेशियों, सिंगल पैरेंट, तलाकशुदा जोड़ों, लिव इन पार्टनर्स और एलजीबीटी समुदाय से जुड़े लोगों के लिए सरोगेसी के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। सरोगेसी के लिए महिला के पास मेडिकल रूप से पूरी तरह फिट होने का सर्टिफिकेट होना चाहिए, तभी वह सरोगेट मां बन सकती है। वहीं सरोगेसी का सहारा लेने वाले कपल के पास इस बात का मेडिकल प्रमाण पत्र होना चाहिए कि वो इनफर्टाइल हैं। हालांकि, सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 में कई तरह के सुधार किए गए। इसमें किसी भी ‘इच्छुक’ महिला को सरोगेट बनने की अनुमति दी गई थी।
मजबूरी भी है सरोगेसी
पिछले दो साल से कोरोना के बाद आई मंदी और बेरोजगारी की वजह से भी सरोगेट मदर की संख्या में इजाफा हुआ है। दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा, बर्तन या छोटे-मोटे काम करने वाली महिलाएं या फिर फैक्ट्री में मजदूरी करने वाली महिलाएं सरोगेसी से कम समय में ज्यादा पैसे की चाहत में इसे अपना रहीं हैं। परिवार का भविष्य सुरक्षित करने, बच्चों की सही देखभाल और पढ़ाई या फिर किसी के इलाज के खर्चे उठाने के लिए छोटे वर्ग की महिलाओं को सरोगेसी पैसे कमाने का एक आसान रास्ता दिखता है।