अयोध्या। Pran Pratishtha: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को भगवान राम के बाल स्वरूप के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहा कि राम राज्य आ रहा है और देश में सभी को मतभेद त्याग कर एकजुट रहना चाहिए।
सोमवार को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और इसे लाखों लोगों ने अपने घरों और देशभर के मंदिरों में टेलीविजन पर देखा।
भारत का आत्म गौरव लौटा
अयोध्या में श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यहां आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकेले ही तप किया है और अब हम सभी को यह करना है।’’ भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ साथ भारत का आत्म गौरव भी लौटा है।
रामलला 500 साल बाद वापस आए
उन्होंने कहा ‘‘आज का कार्यक्रम नए भारत का प्रतीक है जो खड़ा होगा और पूरी दुनिया की मदद करेगा।’’ उन्होंने कहा कि रामलला 500 साल बाद कई लोगों की तपस्या की वजह से वापस लौटे हैं और ‘‘मैं उन लोगों के कठोर परिश्रम और त्याग को शत शत नमन करता हूं।’’ भागवत ने कहा ‘‘लेकिन राम क्यों गए ? वह इसलिए गए क्योंकि अयोध्या में कलह थी। राम राज्य आ रहा है और हमें सभी मतभेद त्याग कर, कलह खत्म कर छोटे छोटे मुद्दों पर लड़ना झगड़ना बंद करना होगा।
एकजुट रहने की अपील की
हमें अपना अहंकार त्यागना होगा और एकजुट रहना होगा।’’ उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि राम सर्वव्यापी हैं तथा हमें अपने बीच ही समन्वय करना होगा। उन्होंने कहा कि धर्म का पहला सत्य आचरण ही एकजुट रहना है। भागवत ने कहा कि करुणा दूसरा आचरण है। उन्होंने लोगों से कहा कि जो कुछ भी अर्जित किया जाता है उसका न्यूनतम हिस्सा अपने लिए रख कर शेष को परमार्थ के लिए देना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘यही करुणा का मतलब है। आपको अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना होगा।
अनुशासित जीवन जीए
सरकारी योजनाएं गरीब को राहत दे रही हैं, हमें भी समाज को देखना चाहिए क्योंकि हर कोई हमारा भाई है, अपना है। जहां भी आप दुख या पीड़ा देखते हैं, वहां आपको सेवा करना चाहिए।’’ उन्होंने लोगों से लालची न बनने और अनुशासित जीवन जीने के लिए कहा। उन्होंने कहा ‘‘हमें हमारे देश को एक वैश्विक पथ प्रदर्शक बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा।
आक्रमण से बढ़ा अलगाव
उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर जो आक्रमण हुए उससे समाज में अलगाव बढ़ा। साथ ही उन्होंने भगवान राम के आचरण को अपने जीवन में उतारने की भी अपील की।
सामाजिक जीवन में भी अनुशासन लाए
मोहन भागवत ने कहा- राम-लक्ष्मण ने अनुशासन के बल पर 14 वर्ष का वनवास पूरा किया था। हमें सामाजिक जीवन में भी अनुशासन बनाना होगा। हम सभी ने 22 जनवरी के भक्तिमय उत्सव में मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ-साथ पूरे विश्व के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया है।
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