हाइलाइट्स
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किसान के बेटे ने खड़ी कर दी करोड़ों रुपये की कंपनी।
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बिजनेस से नहीं था दूर-दूर तक नाता।
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आज देश के 54वें अमीर इंसान हैं रेड्डी।
Success Story: आपने आज तक बहुत सफलता की कहानी सुनी होंगी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सख्स की सक्सेस स्टोरी बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आप यकीनन अपने होस खो बैठेंगे।
जी हां, हम बात कर रहे है, पी.पी रेड्डी की। जिन्होंने किसान परिवार से होते हुए अपने बलबूते पर भी करोड़ो की कंपनी को खड़ा कर दिया। जो आज देश के 54वें अमीर पर्सन हैं।
पी.पी रेड्डी की संपत्ति की अगर हम करें तो आज पी.पी रेड्डी 37 हजार 300 करोड़ के मालिक हैं। इतना ही नहीं रेड्डी 360 वन वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2023 के अनुसारअब बिजनेस टाइकून इंजीनियरिंग और निर्माण उद्योग में सबसे अमीर इंसान हैं।
पी.पी रेड्डी ने पिछले एक साल में अपनी संपत्ति में 24 हजार 700 करोड़ रुपये जोड़े। अगर आप यह सोच रहे हैं, कि रेड्डी को बिजनेस विरासत में मिला, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि रेड्डी एक साधारण किसान परिवार में जन्में और अपने माता-पिता की 5वीं संतान हैं।
1989 से की शुरुआत
दरअसल, पी.पी रेड्डी के परिवार का शुरुआत से ही बिजनेस से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन, 1989 में रेड्डी ने कुछ अलग करने का सोचा। उन्होंने दो कर्मचारियों के साथ कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंटरप्राइजेज की नींव रखी।
पिछले 33 सालों में रेड्डी की इस कंपनी ने दिन-दोगुनी रात-चौगुनी तरक्की की। साथ ही रेड्डी को भारतीय अमीरों की लिस्ट (Success Story) में शामिल किया गया। अब रेड्डी की कंपनी का नाम मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है।
कंपनी को शुरू करने के बाद नगर पालिकाओं के लिए छोटे-छोटे पाइप बनाए गए। कंपनी को दो साल होने के बाद उनके भतीजे ने भी कंपनी को ज्वाइन कर लिया। इसके बाद दोनों चाचा-भतीजे की जोड़ी ने पीछे मुड़कर न देख जमकर मेहनत की।
छोटे पाइप बनाने वाली यह कंपनी सड़क, बांध और प्राकृतिक गैस वितरण नेटवर्क और लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण करने लगी। अब बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में महारथ रखने वाली एक कंपनी स्थापित हो चुकी है।
पी.पी. रेड्डी की कंपनी ने भारत की सबसे बड़ी लिफ्ट सिंचाई परियोजना का निर्माण किया। 14 अरब डॉलर की लागत से कंपनी ने तेलंगाना में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना बनाई। जिसे गोदावरी नदी पर बनाया गया। इस परियोजना को 13 जिलों में 18.26 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए बनाया गया है।