नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को कहा कि भारत को बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ रहा है क्योंकि वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड की गयी 203 गीगावाट बिजली की उच्चतम मांग के मुकाबले देश में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 395.6 गीगावाट (जीडब्ल्यू) थी। बिजली मंत्री आरके सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘देश में कोई बिजली संकट नहीं है। 28 फरवरी, 2022 की स्थिति के अनुसार, स्थापित उत्पादन क्षमता लगभग 395.6 गीगावाट है, जो देश में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
कोयले का आयात घटकर 2.27 करोड़ टन रह गया
चालू वर्ष के दौरान अनुभव की गई अधिकतम मांग केवल 203 गीगावाट थी।” उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा संकलित जानकारी के अनुसार, मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च आयातित कोयले की कीमत के कारण वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान कोयले का आयात घटकर 2.27 करोड़ टन रह गया। पिछले साल इसी अवधि के दौरान 3.9 करोड़ टन का आयात हुआ था। आयातित कोयले की कमी की भरपाई घरेलू कोयले की बढ़ी हुई आपूर्ति के माध्यम से की गई है यानी 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान 44.26 करोड़ टन की आपूर्ति क मुकाबले यह आपूर्ति वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान 54.72 करोड़ टन तक हुई।
बिजली उत्पादन क्षमता निर्माणाधीन है
उन्होंने कहा, कि इस प्रकार कोयले के आयात में कमी के कारण उत्पादन हानि की भरपाई घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों से अधिक उत्पादन से की गई है। सिंह ने सदन को बताया, ‘‘हमारा लक्ष्य वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता (हाइड्रो, परमाणु, सौर, पवन, बायोमास, आदि) से 500 गीगावॉट स्थापित क्षमता हासिल करना है। इससे कोयला आधारित उत्पादन पर दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा।’’ मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि 1,16,766 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 72,606 मेगावाट नवीकरणीय (बड़ी पनबिजली परियोजनाओं सहित), 15,700 मेगावाट परमाणु और 28,460 मेगावाट ताप बिजली शामिल हैं।