MP Government Plan For Cows: मध्यप्रदेश की सड़कों-चौराहों पर घूमते बेसहारा गौवंश यानी बूढ़ी और अपाहिज गायों के संरक्षण के लिए बीजेपी की मोहन सरकार बड़ा प्लान लागू करने की तैयारी कर रही है।
इसके लिए सरकार प्रदेश के सभी शहरों और कस्बों में नगर पालिका और नगर निगमों को कांजी हाउस (सड़कों पर खुले में घूमने वाले पशुओं को बंद करके रखने का स्थान) को बड़ी गौशालाओं में बदलने जा रही है।
गौशालाओं में बदलेंगे कांजी हाउस
इसके लिए सभी कांजी हाउस की क्षमता में विस्तार किया जाएगा ताकि इसमें सड़कों चौराहों पर बेसहारा घूमने वाली बूढ़ी और अपाहिज गायों को रखा जा सके। सरकार के जानकार सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा यह है कि शहरों और कस्बों में पशुपालक गाय बूढ़ी होने पर उन्हें सड़कों पर बेसहारा ना छोड़ें बल्कि वे उन्हें सरकारी गौशालाओं में दान कर दें। वहां उनके चारे-पानी और इलाज की माकूल व्यवस्था की जाएगी।
क्या है कांजी हाउस ?
कांजी हाउस सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को बंद करके रखने की जगह को कहते हैं। जो पशुपालक अपने पशुओं को खुला छोड़ देते हैं, नगर पालिका या नगर निगम उन पशुओं को पकड़कर कांजी हाउस में बंद कर देती है। कांजी हाउस में पशुओं के खाने-पीने की व्यवस्था होती है। इसके बाद पशुपालक को जुर्माना भरकर अपने पशुओं को छुड़ाना पड़ता है।
गरीब आदिवासियों को मिलेंगी दुधारू गाय-बछड़े
सरकारी गौशालाओं में जो भी दुधारू गाय और उनके बछड़े होंगे, उन्हें प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के गरीब आदिवासी परिवारों को पशुपालन और दूध उत्पादन के व्यवसाय से जोड़ने के लिए निशुल्क दिया जाएगा। सरकार की सोच यह है कि कांजी हाउस को गौशालाओं में बदलने और इनमें बूढ़ी गायों को दान करने की पहल से सरकारी अनुदान के लालच में गौशालाओं का कारोबार करने वाले तत्वों पर भी अंकुश लगेगा। चूंकि ये गौशालाएं नगर निगम और नगर पालिकाओं के अधिकारी और कर्मचारियों की निगरानी में संचालित होंगी।
प्रदेश के इन शहरों में शुरू होंगी बड़ी गौ-शालाएं
योजना के पहले चरण में भोपाल, इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर शहर में नगर निगमों के वर्तमान कांजी हाउस का विस्तार कर बड़ी गौशालाएं शुरू की जाएंगी। इन गौशालाओं में 5 हजार से लेकर 10 हजार की संख्या तक गौवंश रखने की व्यवस्था की जाएगी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 में पशुधन संरक्षण और पशुपालन गतिविधियों के लिए 590 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया है।
गौपालन को बढ़ाना देने के लिए दोगुना किया अनुदान
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इस वर्ष गौ-वंश रक्षा पर्व मनाया जा रहा है। सरकार गौ-पालन को प्रोत्साहित करने के लिए गौ-शालाओं को प्रति गाय 20 रुपए के स्थान पर 40 रुपए का अनुदान देने का निर्णय ले चुकी है। इसके अलावा जो पशुपालक 10 या उससे अधिक गायों का पालन करेंगे उन्हें भी विशेष अनुदान देने का फैसला किया गया है। इस कवायद का लक्ष्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को दोगुना करना है। प्रदेश में वर्तमान में देश के कुल दूध उत्पादन का करीब 9 फीसदी उत्पादन हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है। शुरुआत में 11 हजार गांवों में दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दूध उत्पादन में वृद्धि का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में प्रदेश के सभी गांवों में मप्र दुग्ध संघ के माध्यम से दूध उत्पादन की गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी।
दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए NDDB से अनुबंध
प्रदेश में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) से भी अनुबंध करने का निर्णय लिया है। इस अनुबंध के तहत एनडीडीबी और मप्र दुग्ध महासंघ मिलकर प्रदेश में गुजरात पैटर्न पर सहकारिता के माध्यम से दूध उत्पादन बढ़ाने और डिस्ट्रीब्यूशन के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे।
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प्रदेश में 8.50 लाख गौवंश सड़कों पर लावारिस
देश में हाइवे और शहरों की सड़कों पर घूमता लावारिस गौवंश (गाय-बैल एवं बछड़े) की समस्या केंद्र और राज्य सरकारों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। देश में 2022 में हुई पशुधन जनगणना के अनुसार राज्यों में करीब 50 लाख से ज्यादा गाय-बैल और बछड़े सड़कों पर हैं। बेसहारा गौवंश की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश देश का तीसरा बड़ा राज्य है। यहां करीब साढ़े आठ लाख से ज्यादा गौवंश सड़कों पर विचारण करता है। देश में सबसे ज्यादा 12 लाख 72 हजार लावारिस गौवंश राजस्थान में और इसके बाद करीब 11 लाख 24 हजार उत्तर प्रदेश में सड़कों पर लावारिस घूमते मिले हैं। इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर घूमने वाला यह गौवंश सड़क दुर्घटनाओं की भी एक बड़ी वजह बन गया है।
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