हाइलाइट्स
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पूजा का IAS सिलेक्शन भी रद्द किया
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दिल्ली कोर्ट ने अग्रिम जमानत की खारिज
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पूजा के मददगार UPSC कर्मी की भी जांच हो
Pooja Khedkar: ट्रेनी IAS अफसर रही पूजा खेडकर की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी दिल्ली कोर्ट ने खारिज कर दीं। पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार, 1 अगस्त को दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि UPSC परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले बाकी कैंडिडेट्स की भी जांच की जाए।
साथ ही अगर UPSC के किसी कर्मचारी ने पूजा की मदद की है, तो उसकी भी जांच होनी चाहिए।
पूजा पर ये गंभीर आरोप
पूजा खेडकर पर कई गंभीर आरोप हैं मसलन, उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देना।
UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया था। इसके बाद UPSC ने उनके खिलाफ बुधवार को एफआईआर कराई है।
पूजा की अग्रिम जमानत याचिका पर UPSC के वकील की आपत्ति
पूजा ने धोखाधड़ी और जालसाजी के इस केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी।
कोर्ट में UPSC के वकील ने कहा था कि उन्होंने सिस्टम को धोखा दिया है। वह एक साधन संपन्न व्यक्ति हैं और उनके द्वारा कानून का दुरुपयोग करने की संभावना बनी हुई है।
अदालत ने दलीलें सुनने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
UPSC ने बुधवार 31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द कर दिया था। साथ ही भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम देने पर भी रोक लगा दी थी।
पूजा को एग्जाम में 2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं और जून 2024 से ट्रेनिंग पर थीं।
UPSC ने पूजा को 2 बार समय दिया, पर जवाब नहीं मिला
UPSC ने बताया था कि पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के लिए 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस (SCN) जारी किया गया था।
इसमें कहा गया कि पूजा को 25 जुलाई तक अपना जवाब देना था, लेकिन उन्होंने अपने जवाब के लिए जरूरी दस्तावेज जुटाने के लिए 4 अगस्त तक का समय मांगा।
आयोग ने कहा- उन्हें फिर 30 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे तक समय दिया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
15,000 डेटा की जांच में यह पता नहीं चला कि पूजा ने कितने अटेम्प्ट्स दिए।
खेडकर के केस के चलते UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की।
इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे।
पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का मामला एकमात्र था। उन्होंने कई बार ना केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी,
इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी।
UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोहराए ना जाएं।
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पूजा का मामला कैसे सामने आया?
पूजा पुणे में ट्रेनी अफसर की ट्रेनिंग ले रही थीं। इस दौरान उन पर सुविधाएं मांगने का आरोप लगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने की शिकायत भी सामने आई। पूजा ने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की प्लेट लगवाई।
पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था।
इसके बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने यूपीएससी में सिलेक्शन पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया था।
इसके बाद उनके खिलाफ जांच शुरू हुई तो कई खुलासे हुए।