मलप्पुरम। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोगों के बीच के संबंधों को तोड़ने का आरोप लगाया तथा दावा किया कि इससे भारत की भावना ‘बिखरती’ जा रही है। राहुल एक दिन के लिए केरल आए हैं।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह दावा करना प्रधानमंत्री का ‘‘अहंकार’’ है कि कोई और नहीं, बल्कि सिर्फ वही (प्रधानमंत्री मोदी ही) भारत को जानते व समझते हैं, खासकर जब वह (मोदी) विभिन्न राज्यों एवं क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा, जीवनशैली तथा लोगों की समस्याओं को जाने-बूझे बगैर ही दावे करते हैं। केरल के मलप्पुरम जिले में एक डायलायसिस केंद्र का उद्घाटन करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत महज एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह यहां रहने वाले लोगों और एकदूसरे के साथ उनके आपसी संबंध हैं।
उन्होंने कहा , ‘‘प्रधानमंत्री से मेरी समस्या यह है कि वह इन संबंधों को तोड़ रहे हैं। यदि वह भारत के लोगों के बीच के संबंध तोड़ रहे हैं, तो वह भारत की भावना में विखराव ला रहे हैं। यही कारण है कि मैं उनके खिलाफ हूं।’’
राहुल ने कहा, ‘‘जब भी वह (प्रधानमंत्री) इस तानेबाने को तोड़ते हैं, तब लोगों के बीच संबंधों को दुरूस्त करना मेरा दायित्व है। जब भी वह इन संबंधों को तोड़ने के लिए नफरत का इस्तेमाल करते हैं, तब प्रेम एवं करूणा से उसे दुरूस्त करना मेरा दायित्व है।’’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वह देश की विभिन्न संस्कृतियों, विचारों और धर्मों को समझे बगैर उनके बीच सेतु नहीं बना सकते और उसके लिए व्यक्ति को पूरी नम्रता एवं चीजों को समझने की इच्छा के साथ विभिन्न राज्यों एवं देश के धर्मस्थलों की यात्रा करने की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं अहंकार के साथ इन स्थानों पर जाता हूं तो मैं अज्ञानी हूं। कैसे मैं, हजारों वर्षों के इतिहास वाले केरल एवं तमिलनाडु के लोगों के पास जाकर दावा कर सकता हूं कि मैं उन्हें जानता हूं। मुझे उनके पास नम्रता से जाना होगा। अन्यथा मैं कैसे परिभाषित कर सकता हूं कि भारत क्या है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘ उस व्यक्ति के अहंकार की कल्पना कीजिए, जो दावा करता है- मैं जानता हूं कि भारत क्या है। मैं जानता हूं कि केरल के लोगों की जरूरत क्या है। मुझे पता है कि तमिलनाडु के लोगों की जरूरत क्या है। ऐसे व्यक्ति के अहंकार के बारे में कल्पना कीजिए, जो दावा करता है कि सिर्फ उसे ही पता है कि भारत क्या है और भारत के लोगों की जरूरत क्या है। यह दूसरी समस्या है, जो मुझे प्रधानमंत्री से है। उन्होंने तो मान ही लिया है कि उनकी तरह कोई और इस धरती को नहीं समझता।’’