मनीला। दक्षिण पूर्व एशिया के शीर्ष राजनयिक म्यांमा Political Crisis In Myanmar में राजनीतिक संकट और हिंसा से निपटने में मदद करने के मकसद से एक विशेष दूत की नियुक्ति के लिए सोमवार को बैठक करेंगे।
साथ ही कोरोना वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने में मददगार एक आपातकालीन योजना को अंतिम रूप देंगे, क्योंकि कई लोगों का मानना है कि सैन्य शासित देश में संक्रमण बेकाबू हो रहा है। दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) से जुड़े देशों के विदेश मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद विवादित दक्षिण चीन सागर में संघर्ष रोकने के उद्देश्य से एक Political Crisis In Myanmar अनाक्रामकता संधि तैयार करने के लिए चीन के साथ चार वर्षों से चल रही धीमी वार्ता में कुछ प्रगति की घोषणा भी कर सकते हैं।
दस राष्ट्रों वाले इस समूह को आलोचक सिर्फ अप्रभावी वार्ता करने वाला मंच कह कर खारिज करते हैं। वहीं, म्यांमा में सामने आने वाली परेशानियों पर कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव भी इस पर बढ़ रहा है।
दक्षिण-पूर्व एशिया के एक राजनयिक ने ‘एपी’ को बताया कि सोमवार को होने वाली मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक में यह तय किया जाएगा कि थाईलैंड, इंडोनेशिया और मलेशिया के कम से कम तीन उम्मीदवारों में से किसे ब्लॉक के विशेष दूत के रूप में नामित किया जाना चाहिए ताकि देश के सत्तारूढ़ जनरलों और सू ची के नेतृत्व वाली प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के बीच Political Crisis In Myanmar समझौता करने का प्रयास किया जा सके।
नाम उजागर ना करने की शर्त पर राजनयिक ने बताया कि म्यांमा, थाईलैंड के उम्मीदवार एवं थाईलैंड के पूर्व राजदूत यांगून विरासाकदी फुत्रकुल को तरजीह देता है, लेकिन यह तय नहीं है कि कब उसके सैन्य नेता दूत को स्वीकार करने का फैसला करेंगे और अगर सू ची तक पहुंच होगी, जिन्हें अन्य राजनीतिक नेताओं के साथ हिरासत में लिया गया है और कई आरोपों के तहत उन पर मुकदमा चल रहा है।
गौरतलब है कि फरवरी में म्यांमा की सेना ने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी और सू ची तथा म्यांमा के कई बड़े नेताओं सहित 900 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया थ। आसियान के नेताओं ने अप्रैल में जर्काता में भी मुलाकात Political Crisis In Myanmar की थी और हिंसा समाप्त करने तथा दोनों पक्षों के बीच बातचीत का आह्वान किया था, जिसमें आसियान मध्यस्थ की भूमिका निभाए।