हाइलाइट्स
- प्रधानमंत्री फसल बीमा में 22.67 करोड़ किसानों को मिला मुआवजा
- किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य किया
- किसानों को कुल 1.83 लाख करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया
PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) ने 9 वर्षों में किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य किया है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में 1 अगस्त को योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी पेश करते हुए बताया कि 2016 से 30 जून 2025 तक इस योजना के अंतर्गत 78.41 करोड़ किसान आवेदनों का बीमा किया गया है। इस अवधि में लगभग 22.67 करोड़ किसानों को कुल 1.83 लाख करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 फरवरी 2016 को शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा देना है। यह योजना किसानों की आय को स्थिर रखने, खेती में नवाचार को बढ़ावा देने और कृषि क्षेत्र में जोखिम को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। योजना में ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़, चक्रवात, रोग और कीट आक्रमण जैसे प्राकृतिक कारणों से फसलों को हुए नुकसान पर बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है।
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9 वर्षों की उपलब्धियाँ
राज्य मंत्री ठाकुर ने बताया कि योजना के तहत अब तक 78.41 करोड़ किसान आवेदनों को बीमा कवरेज मिला है, जो योजना की व्यापक पहुँच को दर्शाता है। इनमें से लगभग 22.67 करोड़ किसानों को उनके फसल नुकसान के लिए कुल 1.83 लाख करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि योजना न केवल कागजों तक सीमित रही है, बल्कि वास्तव में किसानों की मदद के लिए प्रभावी रूप से कार्य कर रही है।
आंकड़ों में देखें
विषय | विवरण |
---|---|
योजना का नाम | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) |
शुरुआत की तिथि | 18 फरवरी 2016 |
योजना का उद्देश्य | प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान की स्थिति में किसानों को वित्तीय सुरक्षा |
कुल बीमित आवेदन (2016–2025) | 78.41 करोड़ |
कुल लाभान्वित किसान | 22.67 करोड़ |
कुल मुआवजा राशि | ₹1.83 लाख करोड़ |
तकनीकी प्लेटफॉर्म | राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) |
नवीन तकनीकें | डिजिक्लेम मॉड्यूल, CCE-Agriculture App, PFMS एकीकरण |
राज्यों के लिए प्रावधान | खरीफ 2025 से एस्क्रो खाता अनिवार्य |
बीमा कंपनियों पर जुर्माना | 12% ब्याज दर से जुर्माना यदि दावा भुगतान में देरी |
गैर-ऋणी किसानों की भागीदारी | 2014-15: 20 लाख → 2024-25: 522 लाख |
कुल आवेदन वृद्धि | 2014-15: 371 लाख → 2024-25: 1510 लाख |
कंपनियों की भागीदारी | सार्वजनिक और निजी बीमा कंपनियाँ |
मुख्य लाभ | आय स्थिरता, जोखिम में कमी, खेती में नवाचार को प्रोत्साहन |
तकनीक का उपयोग और पारदर्शिता
योजना के क्रियान्वयन में तकनीकी नवाचारों का विशेष योगदान रहा है। किसानों की सुविधा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) विकसित किया है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान सीधे ऑनलाइन नामांकन कर सकते हैं, बीमा जानकारी देख सकते हैं और दावे की स्थिति की निगरानी कर सकते हैं। इसके अलावा, बीमा क्लेम की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ‘डिजिक्लेम मॉड्यूल’ लागू किया गया है, जो NCIP को पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) और बीमा कंपनियों के सिस्टम से जोड़ता है। इससे दावा भुगतान की प्रक्रिया स्वचालित और पारदर्शी बनी है।
राज्य सरकारों की भागीदारी
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों की भूमिका भी अहम है। खरीफ 2025 से राज्य सरकारों के लिए एस्क्रो खाता खोलना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि वे अपने हिस्से का प्रीमियम अग्रिम रूप से जमा कर सकें। इससे किसानों को समय पर बीमा लाभ मिल सकेगा और केंद्र सरकार के हिस्से का भुगतान भी बाधित नहीं होगा। बीमा कंपनियों को समयबद्ध दावे निपटान के लिए जिम्मेदार बनाया गया है। यदि कोई बीमा कंपनी दावों के भुगतान में देरी करती है, तो 12 प्रतिशत की दर से जुर्माना लगाया जाता है, जिसकी गणना NCIP द्वारा स्वतः की जाती है। इससे बीमा कंपनियों में उत्तरदायित्व और जवाबदेही की भावना बढ़ी है।
सवालों में जानें क्या है ये योजना
क्या प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) वास्तव में किसानों के लिए लाभकारी रही है?
जवाब: योजना के आंकड़े इसकी सफलता को दर्शाते हैं। 2016 से 2025 तक लगभग 22.67 करोड़ किसानों को ₹1.83 लाख करोड़ का मुआवजा दिया गया है। इससे साफ है कि जब किसानों की फसलें प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बर्बाद हुईं, तब सरकार ने उन्हें आर्थिक संबल दिया। इससे उनकी आय में स्थिरता आई है और खेती से जुड़ा जोखिम घटा है। बहुत से किसान इस योजना को “असली बीमा सुरक्षा” मानने लगे हैं।
सवाल 2:
क्या छोटे और गैर-ऋणी किसानों को भी इस योजना से फायदा हुआ है?
जवाब- पहले बीमा का लाभ अधिकतर ऋणी किसानों को ही मिलता था, लेकिन अब गैर-ऋणी किसानों की भागीदारी भी बढ़ी है। 2014-15 में सिर्फ 20 लाख गैर-ऋणी किसानों ने आवेदन किया था, जो अब 2024-25 में बढ़कर 522 लाख हो गए हैं। इसका मतलब है कि छोटे, सीमांत और स्वावलंबी किसानों तक भी योजना की पहुँच बनी है।
क्या किसानों को समय पर मुआवजा मिलता है? और अगर देरी हो तो क्या होता है?
जवाब: अब डिजिक्लेम मॉड्यूल और राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) जैसे तकनीकी उपायों के कारण मुआवजा सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजा जाता है। यदि बीमा कंपनी देरी करती है तो 12% जुर्माना स्वचालित रूप से लगाया जाता है। इसका उद्देश्य यह है कि किसानों को जल्दी और पारदर्शी तरीके से लाभ मिले। हाल के वर्षों में इस व्यवस्था से मुआवजा भुगतान की गति में काफी सुधार हुआ है।
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कवरेज में भारी इजाफा
सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान आवेदनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 2014-15 में जहां केवल 371 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 1510 लाख हो गई है। इसी प्रकार, गैर-ऋणी किसानों के आवेदनों की संख्या 2014-15 में मात्र 20 लाख थी, जो अब 522 लाख तक पहुँच चुकी है।योजना में सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की बीमा कंपनियों को शामिल किया गया है ताकि किसानों को बेहतर सेवाएं मिल सकें। इससे बीमा प्रीमियम दरों में प्रतिस्पर्धा आई है, जिससे किसानों को कम दरों पर बीमा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इससे किसान वर्ग में विश्वास बढ़ा है और बीमा कवरेज लेने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
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