PM Modi Podcast Interview Untold story: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत के दौरान अपने बचपन के संघर्षों और जीवन के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे गरीबी के बावजूद उनके परिवार ने कभी खुद को अभावग्रस्त महसूस नहीं होने दिया। पीएम मोदी ने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया कि कैसे उनके मामा ने उन्हें पहली बार जूते खरीदकर दिए थे।
बचपन की सादगी, जब पहली बार पहने जूते
प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi Podcast) ने बताया कि उनके बचपन में जूते पहनने का सवाल ही नहीं था, क्योंकि उन्होंने कभी इस जरूरत को महसूस ही नहीं किया। उन्होंने कहा- “एक दिन मैं स्कूल जा रहा था, तभी रास्ते में मेरे मामा मिल गए। उन्होंने पूछा, ‘अरे! तू ऐसे स्कूल जाता है, जूते नहीं हैं?’ फिर उन्होंने मुझे कैनवास के जूते खरीदकर दिए।”
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— Narendra Modi (@narendramodi) March 16, 2025
चॉक से चमकाते थे जूता
उन्होंने बताया कि उन दिनों 10-12 रुपये के कैनवास जूते आते थे, लेकिन उन पर जल्दी दाग लग जाते थे। इसलिए, वह स्कूल में फेंके गए चॉकस्टिक के टुकड़े इकट्ठा करके घर ले आते थे और उन्हें पानी में भिगोकर जूतों पर पॉलिश की तरह इस्तेमाल करते थे, जिससे वे चमकने लगते थे।
संघर्षों में मिला अनुशासन का पाठ
पीएम मोदी (PM Modi Podcast) ने बताया कि उनके पिता बेहद अनुशासित व्यक्ति थे। वह हर सुबह 4-4:30 बजे उठकर कई किलोमीटर पैदल चलते थे और मंदिरों में दर्शन के बाद दुकान पर पहुंचते थे। उन्होंने बताया कि उनके पिता पारंपरिक चमड़े के जूते पहनते थे, जो चलते समय टक-टक की आवाज करते थे। गांव के लोग उनकी पदचाप से ही समय का अंदाजा लगा लेते थे।
उन्होंने अपनी माता के बारे में भी कहा कि वह लगातार परिवार की कठिनाइयों को कम करने के लिए मेहनत करती थीं। उनके माता-पिता ने जीवन में कभी थकान महसूस नहीं की, बल्कि हमेशा कड़ी मेहनत और अनुशासन को प्राथमिकता दी।
कपड़ों को चिमटे से करते थे प्रेस
पीएम मोदी ने यह भी बताया, “मेरे लिए, वे जूते एक कीमती संपत्ति थे, एक बड़े धन का प्रतीक। मुझे ठीक से नहीं पता क्यों, लेकिन बचपन से ही हमारी मां सफाई को लेकर बहुत सख्त थीं। शायद वहीं से हमने भी वह आदत अपनाई। मुझे नहीं पता कि मैंने साफ-सुथरे कपड़े पहनने की आदत कैसे अपनाई, लेकिन यह बचपन से ही रही है। जो भी पहनता, उसे सही तरीके से पहनता। उस समय, जैसा कि आप सोच सकते हैं, हमारे पास कपड़े प्रेस करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। तो इसके बजाय, मैं एक तांबे के बर्तन में पानी गर्म करता, उसे चिमटे से पकड़ता और अपने कपड़ों को खुद प्रेस करता। फिर मैं स्कूल के लिए निकलता। इसी तरह मैं जीता था, और मुझे इसमें खुशी मिलती थी। हमने कभी गरीबी के बारे में नहीं सोचा, न ही इस बात की परवाह की कि दूसरे कैसे जीते हैं या उनकी क्या समस्याएं है।”
गरीबी का बोझ नहीं, बल्कि प्रेरणा मिली
पीएम मोदी ने गरीबी के बारे में बात करते हुए कहा, “जो व्यक्ति अच्छे जूते पहनता है, अगर उसके पास जूते नहीं होते तो उसे यह कमी महसूस होती है। लेकिन हमने तो कभी जूते पहने ही नहीं थे, तो हमें पता ही नहीं था कि यह कोई बड़ी चीज होती है।”
उन्होंने कहा कि छोटे से घर में परिवार के कई सदस्य रहते थे, जहां खिड़की तक नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उनके मन पर कभी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पॉडकास्ट में अपने बचपन के संघर्षों, अनुशासन और पारिवारिक मूल्यों के बारे में खुलकर चर्चा की।
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