PM Modi MP Visit: चित्रकूट में पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचे। जहां श्रीतुलसी पीठ में पीएम मोदी ने पूजा अर्चना के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) से मुलाकात की। इस अवसर पर जगद्गुरू द्वारा रचित तीन पुस्तकों का विमोचन किया। इसमें संस्कृत के अभी तक सबसे बड़े 9 हजार पन्नों के काव्य का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि जगद्गुरू हमारी राष्ट्र धरोहर हैं। नेत्रहीन होेने के बावजूद उनके ज्ञानचक्षू इतने तेज हैं कि उन्हें सारे वेद और ग्रंथ याद हैं।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का संबोधन
इस कार्यक्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि अभी तक 230 पुस्तकें लिखी। पांच वर्ष की उम्र में महज 15 दिन में वेद याद कर लिए थे। अभी तक वे 230 पुस्तकें लिख चुके हैं। इसी क्रम में लिखी गई तीन और पुस्तकों को विमोचन पीएम ने किया।
भगवान से प्रार्थना मुझे भारत में ब्राहृण कुल में जन्म दें। इस अवसर पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि अभी तक मैने 230 पुस्तक लिखी हैं।
अगर भगवान मुझसे पूछे मुझे क्या चाहिए। तो मैं उनसे कहूंगा, मुझे नेत्र नहीं चाहिए, मोक्ष नहीं चाहिए। बार—बार मुझे केवल भारत में जन्म चाहिए। वषिष्ठ ब्राहृण कुल में जन्म चाहिए।
इन तीन पुस्तकों की रचना की
इस अवसर पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा लिखी गई तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। जिसमें
1 — पाणिनी अष्टाध्यायी पद वृतित्यी, 35 पृष्ठों में हैं।
2 — श्री कृष्ण की राष्ट्र लीला
3 — सबसे बड़ा संस्कृत का महाकाव्य श्रीरामानंदाचार्य चरितम् : 27 सर्गों का महाकाव्य है।
उन्होंने कहा कि एक अफवाह लोगों ने फैलाई कि भगवान श्रीकृष्ण ने मदिरा पी। इसका खंडन किया गया है। श्रीकृष्ण की राष्ट्रलीला में किया गया है।
मेरी पुस्तकों का विमोचन हो रहा है, यही मेरा सबसे बड़ा सम्मान हैं। मेरी भावना में ये हैं। मेरी कल्पना में दो व्यक्ति हों, पहले में राम और दूसरे में भारत माता। तो पहले मैं भारत माता को प्रणाम करूंगा।
भारत शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है। भ, अ, रत। भा मतलब भगवान, अ मतलब आदर, और रत मतलब प्रेम। इन तीन ग्रंथों का लोकार्पण आज पीएम मोदी करने जा रहे हैं। जिन देश पर भगवान का आदर और प्रेम भी है उसे कहते हैं भारत।
पीएम मोदी का भाषण
मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे पूरे दिन भगवान राम के दर्शन और संतों का आशीर्वाद मिला। गुरू रामभद्रचार्य का दर्शन मुझे प्राप्त हुए हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी हमारे देश के ऐसे संत हैं।
जिनके अकेले ज्ञान पर दुनिया की कई यूनिवर्सिटी स्टडी कर सकी हैं। बचपन से नेत्र न होने के बावजूद आपके ज्ञानचक्षू इतने विकसित हैं कि सोर वेद याद हैं। ऐसी मेघा पूरे राष्ट्र की धरोहर होती है। इसलिए इन्हें हमारी सरकार ने 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।
मुझे जगतगुरू की पुस्तकों का विमोचन करने का मौका मिल रहा है। ये भारत की महान ज्ञान गंगा को और अधिक समृद्ध करेंगे। इन पुस्तकों को गुरू जी का आशीर्वाद मानते हैं। इस सभी को बधाई देता है।
इन ग्रंथों के माध्यम से भाषा, शोध संस्कृति का हजारों साल पुराना ग्रंथ है। कैसे एक—एक सूत्र में व्यापक भाषा को समेटा जा सकता है। ये इस ग्रंथ में दर्शाया गया है। दुनिया में कितनी ही भाषाएं आईं और चली गई। लेकिन हमारे संस्कृत आज भी उतनी ही अक्षुण और अटल है।
संस्कृत समय के साथ परिस्कृत तो हुई लेकिन प्रदूषित नहीं हुई। इसका कारण संस्कृत का परिपक्व व्याकरण और विज्ञान है।
मुझे खुशी है स्वामी ने देश के गौरव के लिए जो संकल्प लिए वो पूरे किए हैं। हमारा देश स्वच्छ और निर्मल हो रहा है।
अदालत से लेकर अदालत के बाहर आपने साथ दिया वह श्रीराम मंदिर भी पूरा होने जा रहा है। इस मंदिर को प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण मिला इसे भी अपना सौभाग्य मानता हूं।
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