Swarved Mahamandir Varanasi: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी में स्वर्वेद महामंदिर (Swarved Mahamandir) का उद्घाटन किया।
यह मंदिर वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के उमरहां गावं में है और अब दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर बन गया है, क्योंकि इसमें अब करीब 20 हजार लोग एक साथ मेडिटेशन कर सकेंगे।
जानिए स्वर्वेद मंदिर(Swarved Mahamandir) के कुछ और आश्चर्य जनक बातें।
PM मोदी से ये है मंदिर का खास कनेक्शन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस महामंदिर से खास कनेक्शन है। दरअसल उनकी मां स्वर्गीय हीराबेन इन धाम से जुड़ी थीं। आखिरी सांस तक वे इससे जुड़ी रहीं। इसलिए PM मोदी का इस मंदिर से भावनात्मक जुड़ाव है।
उन्होंने इस मंदिर को अपनी मां को समर्पित करते हुए इसकी इमारत का रेनोवेशन कराया और इसे देशवासियों को समर्पित किया। वहीं इस मंदिर में भगवान की कोई मूर्ति स्थापित नहीं होगी। ऐसे में इस मंदिर में किसी भगवान की पूजा नहीं होगी।
लेकिन साधना की देवी यहां विराजमान होंगी, जिनकी मौजूदगी में साधकों को योग क्रियाएं सिखाई जाएंगी।
मंदिर कमल के आकार में बना है।
बता दें कि यह मंदिर कमल के आकार में बना है और इसके शीर्ष में 9 अष्टकमल भी है । यह मंदिर 7 मंज़िला है ।
20 हजार लोग एक साथ बैठकर इसमें साधना और योग क्रियाएं कर सकेंगे।
ब्रह्म विद्या विहंगम योग की साधना स्थली में एक साथ 20 हजार लोग साधना कर सकेंगे। छठें तल पर दो आडिटोरियम भी होंगे। हर एक में 238 लोग बैठ सकेंगे। मंदिर निर्माण में तीन लाख घन फीट सफेद मार्बल और इतने ही सैैंड स्टोन का उपयोग किया गया है।
2004 में मंदिर की नींव रखी गई थी और इसे बनाने में करीब 20 साल लगे।
4 हजार वर्ग फीट में बन रहे सात मंजिला महामंदिर का निर्माण करीब 18 साल पहले शुरू हुआ था। अब स्वर्वेद के दोहे मंदिर में अंकित किए जा रहे हैं। मुख्य गुंबद 125 पंखुड़ियों के विशालकाय कमल पुष्प की तरह है।
मंदिर को बनाने में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
बता दें कि इस भव्य मंदिर को बनाने में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह मंदिर सिर्फ बनारस या उत्तर प्रदेश के लिए हीं नहीं बल्कि पूरे देश के लिए खास है ।
5 मंजिलों की दीवारों पर स्वर्वेद के 4 हजार से ज्यादा दोहे अंकित हैं।
महामंदिर में मकराना पत्थर पर स्वर्वेद के दोहे अंकित होंगे। 50 हजार वर्ग फीट पर वाटर जेट तकनीक से पांच हजार दोहे उत्कीर्ण हो रहे हैं।
मंदिर की बाहरी दीवारों पर स्वर्वेद के कई प्रसंगों को उकेरा गया है।
इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है। वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं। इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।
मंदिर में बने बगीचे में कई तरह की औषधीय जड़ी-बूटियों वाले पौधे लगाए गए हैं।
औषधीय जड़ी-बूटियों वाला उत्तम उद्यान भी बनाया गया है जहां हर तरीके और हर प्रकार के औषधीय जड़ी-बूटियों वाले पौधे लगाए गए हैं।
स्वर्वेद मंदिर में लगी है सदाफल देव की 113 फीट ऊंची प्रतिमा।
हिमालय की गुफाओं में तप साधना के जरिए अनुभूत ज्ञान को स्वर्वेद के रूप में अभिव्यक्त करने वाले महर्षि सदाफलदेव महाराज उमरहा में निर्माणाधीन स्वर्वेद महामंदिर में रचनारत नजर आएंगे। गाजीपुर रोड पर आकार ले रहे दिव्य धाम में उनकी 113 फीट ऊंची दिव्य प्रतिमा लगाई जाएगी।
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