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हाइलाइट्स
पीएम मोदी ने बीजेपी नेताओं को दी थी नसीहत
MP के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने किया खुलासा
पीएम और बीजेपी नेताओं के बीच क्या हुई थी बात ?
Deputy CM Rajendra Shukla: भोपाल में इसी साल 23 फरवरी को 2 दिन के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश सरकार के सभी मंत्री, विधायक और सांसदों से कमरा बंद चर्चा की थी। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में करीब 3 घंटे चली इस बैठक में प्रधानमंत्री और सरकार के जनप्रतिनिधियों के बीच हुई अनौपचारिक चर्चा बेहद गोपनीय ही रही। सिवाय इस बात के कि इसमें शामिल सभी लोगों को बैठक के बारे में मीडिया से कोई बात शेयर नहीं करने की स्पष्ट हिदायत दी गई थी। इस बैठक में प्रधानमंत्री और मप्र सरकार के मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के बीच क्या चर्चा हुई, इस राज पर करीब 5 महीने बाद उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने थोड़ा खुलासा किया है।
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बंसल न्यूज के खास कार्यक्रम पंख अवॉर्ड में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, बंसल ग्रुप के MD सुनील बंसल, डायरेक्टर पार्थ बंसल और बंसल न्यूज चैनल हेड शरद द्विवेदी[/caption]
'काम डांट-फटकार से नहीं कन्विंस करने से होते हैं'
राजधानी में बंसल न्यूज के एक खास कार्यक्रम में डिप्टी सीएम शुक्ल ने एक सवाल के जवाब में 23 फरवरी को पीएम मोदी से हुए संवाद का एक वाकया सुनाया। प्रदेश की राजनीति में अपने सहज-सरल और सौम्य व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाले उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल से पूछा गया था कि आपको अपने व्यवहार में थोड़ी आक्रामकता (एग्रेशन) नहीं लाना चाहिए ?
सवाल के जवाब में शुक्ल ने कहा- मेरे विधानसभा क्षेत्र रीवा में अपनी शिकायतें लेकर आने वाले कई लोग मुझसे कहते हैं कि आप फलां अधिकारी-फलां कर्मचारी को डांटिए। इस पर मैं उन्हें समझाता हूं कि अच्छा और जल्दी काम अधिकारी-कर्मचारी के साथ डांट-फटकार करने से नहीं उन्हें तार्किक रूप से उस काम के लिए राजी (कन्विंस) करने से होता है। जब कोई अधिकारी दायां-बायां करने की कोशिश करता है तो उन्हें बताता हूं ये काम कैसे और क्यों करना है।
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सार्वजनिक डांट-फटकार पर ये बोले पीएम मोदी
डिप्टी सीएम ने इस सिलसिले में भोपाल में प्रधानमंत्री और बीजेपी के जनप्रतिनिधियों के साथ 23 फरवरी को भोपाल में हुए संवाद का एक किस्सा सुनाया। पीएम मोदी ने कहा कि मैं पिछले 11 साल से प्रधानमंत्री हूं और इससे पहले 14 साल मुख्यमंत्री रहा हूं। इन 25 सालों में मैंने कभी किसी अधिकारी से तेज आवाज में बात नहीं की। लेकिन देखता हूं कि आए दिन किसी मंत्री, सांसद-विधायक के किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के साथ डांट-फटकार करते हुए वीडियो वायरल होते रहते हैं। आप कल्पना नहीं कर सकते इससे आपकी छवि कितनी खराब होती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप जिस अधिकारी के साथ सार्वजनिक डांट-फटकार करते हैं, दरअसल, वो आपके खिलाफ लगातार चूं..चूं…कर आपकी छवि बिगाड़ देता है। आप डांट-डपट नहीं, अपने अच्छे व्यवहार की खुशबू फैलाइए। आपके काम और तेजी से होंगे।
'गुस्सा करने का अधिकार जनता का है, जनप्रतिनिधियों का नहीं'
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क्या आपको कभी गुस्सा नहीं आता ? इस सवाल के जवाब में शुक्ल कहते हैं- गुस्सा आमतौर पर तो इसलिए नहीं आता कि हम लोग गुस्सा करने के अधिकारी नहीं हैं। वजह यह है कि हमने जनता से हाथ जोड़कर वोट लिया है। और जब हमने जनता से हाथ जोड़कर वोट लिया है तो गुस्सा करने का अधिकार उसको तो है, लेकिन हमें नहीं।
तो जब लोग अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आकर ये बोलते हैं कि यह नहीं हुआ, वह नहीं हुआ। तो हम लोग मेंटली प्रिपेयर होकर सुबह जब अपने कमरे से नीचे उतरते हैं तो यह ध्यान में रखते हैं कि गुस्सा नहीं करना है। सिर्फ हाथ जोड़ना है और मुस्कराना है।
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डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और बंसल न्यूज चैनल हेड शरद द्विवेदी के बीच चर्चा[/caption]
'किसी की इंसल्ट करना सबसे बड़ा मानवीय अवगुण'
डिप्टी सीएम शुक्ल ने कहा कि यदि हम हाथ जोड़कर मुस्कराते रहेंगे तो सामने वाले का गुस्सा कम हो जाएगा। यदि हमने उसे जवाब दे दिया तो वो इंसल्ट फील करेगा। सोचेगा कि देखिए हमने इनके लिए जान लगा दी और इन्होंने 50 लोगों के सामने हमको डांट दिया। कभी-कभी यदि ऐसा होता भी है तो फिर मुझे रात में ठीक से नींद नहीं आती है। दूसरे दिन मैं सबसे पहले सुबह उस व्यक्ति को फोन करके बुलवाता हूं। उनको अपने साथ नाश्ता कराता हूं या सुबह वॉक करने जाते हैं तो उनको गाड़ी में बैठा लेते हैं जिससे कि उसको यह न लगे कि सबसे सामने हमारी इंसल्ट हुई है। मेरी राय में किसी व्यक्ति की इंसल्ट करना सबसे बड़ा मानवीय अवगुण है। इसे जितना पिया जा सके उसको पी लेना चाहिए।
'अपनी आलोचना को वेकअप कॉल मानिए'
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जब कोई आपकी आलोचना करता है तो उसे कैसे लेते हैं ? इस सवाल पर डिप्टी सीएम शुक्ल कहते हैं- आपसे कहूंगा कि इसको लिखकर रख लीजिए कि जो भी आपको क्रिटिसाइज करते हैं, वो आपके लिए वेकअप कॉल्स हैं। वह आपको जगाने की एक घंटी है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आप पब्लिक लाइफ में हैं, ब्यूरोक्रेसी में हैं या राजनीति में है तो गुस्सा करने का अधिकार नहीं है आपको। आपको मुस्कुराना ही है। यदि सोशल मीडिया में आपकी आलोचना हो तो उसे भी वेकअप कॉल मानिए। यह आदत डेवलप कीजिए अपने भीतर।
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