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नई दिल्ली। दुनिया में प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। खासकर प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण इसमे सबसे ज्यादा है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 600 करोड़ किलोग्राम प्लास्टिक अभी भी कचरे के रूप में धरती पर मौजूद है। ऐसे में ये प्रकृति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इससे निजात पाने के लिए एक ऐसे मशरूम को खोजा है, जो प्लास्टिक खाता है और जैविक पदार्थ बनाता है।
इसमें एक खास किस्म का कवक होता है
इस मशरूम का नाम है पेस्टालोटियोप्सिस माइक्रोस्पोरा (Pestalotiopsis microspora)। ये मशरूम, प्लास्टिक को खाकर जैविक पदार्थ में बदल देता है। मालूम हो कि इसमें एक खास किस्म का कवक (Fungi) होता है। जो जमीन के अंदर से या पेड़ों की छालों से पनपता है। येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ मशरूम को खोजा है। जो प्लास्टिक के ऊपर उगता है और उसे धीरे-धीरे करके खा जाता है। हालांकि फिलहाल इस मशरूम को इक्वाडोर के अमेजन के जंगलों में ही देखा गया है।
हम इस मशरूम को खा भी सकते हैं
वैज्ञानिकों की मानें तो ये मशरूम दो हफ्ते के भीतर प्लास्टिक को जैविक खाद में बदल देता है और सबसे मजेदार बात ये हैं कि हम इस मशरूम को खा भी सकते हैं। मालूम हो कि इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने ऐसे मशरूम को खोजा है, जो प्लास्टिक को खाते हैं। लेकिन पेस्टालोटियोप्सिस माइक्रोस्पोरा मशरूम सबसे तेज गति से प्लास्टिक को गलाता है।
मशरूम प्लास्टिक को खाते कैसे हैं?
सवाल ये उठता है कि आखिरकार मशरूम प्लास्टिक को खाते कैसे हैं? मशरूम आमतौर पर माइकोरमेडिएशन (Mycoremediation) नाम का एंजाइम निकालते हैं। यह एंजाइम प्राकृतिक और अप्राकृतिक कचरे को नष्ट कर देता है। यह एक तरीके की प्राकृतिक प्रक्रिया है जो संतुलन बनाने का काम करती है। माइकोरमेडिशन की प्रक्रिया सिर्फ फंगस यानी कवक ही करते हैं। इसे कोई बैक्टीरिया भी नहीं कर सकता।
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