Plastic Free India: जैसा कि, आज 5 जून 2023 यानि कि, विश्व पर्यावरण दिवस है वहीं पर इस खास मौके पर पर्यावरण को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने और संरक्षण की बात की जाती है। इस साल पर्यावरण दिवस की थीम जहां पर प्लास्टिक को खत्म करने की थीम पर आधारित है वहीं क्या आपको पता है हमारे देश में कितना प्लास्टिक हर साल उत्पादित होता है।
कैसे निपटारा होगा प्लास्टिक का
आपको बताते चले कि, संयुक्त राष्ट्र के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की बात कर ली जाए तो, दुनिया भर में करीब 400 मिलियन प्लास्टिक का उत्पादन होता है । इसमें जहां पर से आधे का इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार हो पाता है, जबकि सिर्फ 10 फीसदी की ही रिसाइकिलिंग हो पाती है। दूसरी तरफ, अनुमानत: 19-23 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे को हर साल तालाबों, नदियों और समुद्र में डाल दिया जाता है, जो कि 2,200 एफिल टॉवर के वजन के बराबर है। हम अपने खाने से लेकर पीने के स्वच्छ पानी में भी प्लास्टिक का अंश देख सकते है।
क्या होते है माइक्रोप्लास्टिक
यहां पर प्लास्टिक तो आपको सामान्य तौर पर नजर आते है लेकिन क्या आपने कभी वातारण में माइक्रोप्लास्टिक के स्तर को जाना है। प्लास्टिक के छोटे पार्टिकल्स रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजों- कपड़े, सिगरेट, कॉस्मेटिक्स आदि में मौजूद हैं। यूनाइटेड नेशन्स इंवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) के मुताबिक, इन चीजों के लगातार इस्तेमाल से पर्यावरण में प्लास्टिक का ढेर बढ़ता जा रहा है। जब पक्षी, मछलियां या समुद्री जीव इसे निगल लेते हैं तो ये माइक्रोप्लास्टिक दोनों- टॉक्सिक और मैकेनिकल इफेक्ट दिखाना शुरू कर देता हैं। इनका प्रभाव खासतौर पर महिलाओं की, हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। इससे ह्यूमन जेनेटिक्स, रेस्पिरेटरी रेट, मानसिक विकास पर सीधा असर होता है।
क्यों मनाया जाता है पर्यावरण दिवस
यहां पर इस दिवस को मनाने के पीछे के उद्देश्य की बात करें तो, पर्यावरण को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने और इसके संरक्षण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने में विशेष महत्व रखता है। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व पर्यावरण दिवस को मनाए जाने फैसला वर्ष 1972 हुई महासभा के दौरान लिया था। इसके बाद इसे पहली बार वर्ष 1973 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट द्वारा हर साल विश्व पर्यावरण के लिए विशेष थीम की घोषणा की जाती है।