नई दिल्ली।Planets And Gemstones: आज के समय में जीवन से परेशान लोग विभिन्न तरह के रत्न पहनते हैं। आपने इनमें से नौ रत्नों (Nav Ratna) के बारे में तो बहुत सुना होगा। लेकिन जब ये नौ रत्न आसानी से उपलब्ध न हों तो 84 रत्नों में से खास ये 75 रत्नों को भी ग्रहों की शांति के लिए उपयोग किया जाता है। तो चलिए ज्योतिष (Jyotish) की दृष्टि से आप भी जान लें कि कौन से हैं 84 रत्न और उनके अंग्रेजी नाम।
प्रमुख नौ रत्न (Nine Main Gemstone)
1. माणिक्य (RUBY)- रत्न शिरोमणि, मुख्य वर्ण रक्तिम, सूर्य ग्रह से प्रभावित।
2. हीरा (DIAMOND)- मुख्य वर्ण श्वेत, पीला एवं नीला आदि, शुक्र ग्रह से प्रभावित।
3. पन्ना (EMERALD)- मुख्य वर्ण हरा, बुध ग्रह से प्रभावित।
4. नीलम (SAPPHIRE)- मुख्य वर्ण गहरा नीला, आसमानी आदि शनि ग्रह से प्रभावित।
5. मोती (PEARL)- मुख्य वर्ण स्वेत नौला एवं लाल आदि, चंद्र ग्रह प्रभावित।
6. मूंगा (CORAL)- मुख्य वर्ण लाला सिंदुरिया, मंगल ग्रह से प्रभावित।
7. पुखराज (TOPAZ)- मुख्य वर्ण पीला, श्वेत एवं नीला, बृहस्पति (गुरु) ग्रह से प्रभावित।
8. गोमेद (ZIRCON)- मुख्य वर्ण लाल, धूमिल आदि, राहु ग्रह से प्रभावित।
9. लहसुनिया (CAT’S EYE)- मुख्य वर्ण लहसुन की तरह, केतु ग्रह से प्रभावित।
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नवरत्नों की भांति 75 मुख्य उपरत्न हैं
1. फिरोजा (TURQUOISE)- आसमानी रंग का यह रत्न प्रायः मुसलमानों द्वारा ही अधिक धारण किया जाता है।
2. ओपल / पोलकी (OPAL)- विविध वर्णों से युक्त।
3. तुरमली (TOURMALINE)- पाँच प्रकार के वर्णों वाला, पुखराज जाति का रत्न है।
4. कटैला (AMETHYST)- बैंगनिया वर्ण से युक्त।
5. तामड़ा (GARNET)- स्याही जैसे लाल वर्ण से युक्त।
6. सिंदुरिया (SCARLET)- श्वेत रक्त मिश्र वर्ण।
7. जजेमानी (ZAZEMANI)- जर्दी लिए भूरा रंग, रेखा सहित।
8. सुलेमानी (AGATE)– काले रंग पर सफेद रेखा।
9. आलेमानी (AALEMANI)- भूरे रंग पर रेखा।
10. कुदूरत (KUDOORAT) – काले रंग का, श्वेत जर्द दागों से युक्त।
11. हकीक कलबहार (CORNELIAN) यह जल में उत्पन्न होता है। इसकी माला बनाई जाती है। अनेक वाला, लकड़ों को मूठ में अधिक उपयोगी होता है।
12. सौजरी (STZREE)-श्वेतवर्ष का इस पर काले रंग के वृक्ष का रूप बना होता है।
13. मुबेनज्फ(MUBENJUFF)- श्वेत वर्ण का बाल के समान रेखा से प्रभावित होता है।
14. हालन (HAALAN) गुलाबी रंग का, जिसे हिलाने पर इसका रंग भी हिलता है।
15. संगवारी (SUNGHASRI)- आंखों के निर्मित सुरमा बनाने में प्रयुक्त होता है।
16. हरीद (HAREED) — काला भूरापन वर्ण का वजन में भारी होता है। इसकी माला बनाई जाती है।
17. सिफरी (SIFRI)-आसमानी वर्ण का कुछ हरापन लिए।
18. हवास (HAWAS)-हरे वर्ण का कुछ सुनहरा सा होता है।
19. अमलीया (UMLIYA )- घोड़ा कालापन लिए गुलाबी, इसके खरल: बनाए जाते हैं।
20. हकीक(AGALIC)- प्रायः सभी वर्णों में होता है। इसके खिलौने, मूठे और प्याले बनते हैं।
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21. सुरमा(ANTIMONY)- काले रंग होता है।
22. हजरते ऊद (HAZRATE YOUD)- श्याम वर्ण का। इसका प्रयोग नेत्रों की औषधि के लिए किया जाता है।
23. रवात (RAVAAT) रक्त वर्णीय होता है। यदि रात्रि में ज्वर चढ़े तो बगल में बांधने से लाभ होता है। यह नीले रंग का भी होता है, जिसका औषधि बनाने में उपयोग किया जाता है।
24. जहेरमोहरा (ZAHER MOHRA) कुछ हरापन लिए सफेद होता है। इसके प्याले में घातक विष भी अपने कुप्रभाव को खो बैठता है।
25. मरगज (JADE)- बिना पानी का, हरित वर्ण से युक्त।
26. बैरुज (AQUAMARINE)- हल्के हरे एवं पन्ने जैसा वर्ण वाला।
27. जबरजद्द (PERIDAT)– सब्जी, निर्मण वर्ण का। इसमें सूत नहीं होता।
28. सितारा (GOLD STONE) सुवर्ण जैसे डीटी वाला, वर्ण का।
29. मकनातीस (FLINT)- श्वेत व श्याम वर्ण से युक्त इसे चकमक
30. आवरी (AABRI)- श्याम वर्ण का सुवर्ण सा।
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31. अहवा (AHWA)-बड़े-बड़े छोटों वाला, गुलाबी वर्ण से युक्त।
32. नरम (APINAL RUBY)- लाल, जर्दपन एवं श्याम वर्ण वाला।
33. बासी (BASEE)-हल्के हरे वर्ण का संगसन से नरम होता है। इसकी पॉलिश अच्छी होती है।
34. मकड़ा (SPIDER)- हल्का काला, ऊपर मकड़ी का जाला होता है।
35. पित्तौनिया (BLOOD STONE)-हरित वर्ण का रत्न, जिस पर रक्त वर्णीय छोटे होते हैं।
36. सावोर (SAVORE) – भूरे रंग के डोरे से युक्त, हरे रंग का
37. दाना फिरंग (KIDNEY STONE)– पिस्ते के समान आभा वाला।
38. कसोटी (BASANITE) काले रंग का, सुवर्ण की परीक्षा के निमित्त उपयोग में आने वाला।
39. गूदड़ी (GUDRI)- यह रत्न कई प्रकार का होता है, इसे फकीर लोग पहनते हैं।
40. गौदंता (MOON STONE)- गाय के दांत के समान थोड़ा जर्दपन।
41. धुनेला (SMOKY QUARTZ)- सुवर्ण वर्ण का कुछ धुआंपन लिए।
42. दुर्वेनजक (DURVENZAK)- कच्चे धान के समान, इस पर पॉलिश
43. तुरसावा (TURSAWA)- गुलाबी रंग में कुछ जर्दी लिए, बहुत नरम
44. पारस (PARAS)- श्याम वर्ण का, लोहे को स्पर्श से सोना बना देने वाला।
45. संगसन (WHITE JODE)- श्वेत एवं अंगूरो वर्ण से युक्त।
46. चित्ती (CHITTY)– श्याम वर्ण का, इसके ऊपर सोने का सा डोरा होता है।
47. लारु (LAARU)- यह जात मारवर की भांति होता है।
48. मारवर (MARVER)- लाल, सफेद एवं बांस के रंग जैसा।
49. सींगली (SINGLE)- श्यामता लिए यह माणिक्य जाति का उपरत्न है।
50 सीया (Black Stone)- काले रंग का होता हैं। इसकी मूर्तियां बनती हैं।
51. टेडी (THEDI)- काले रंग का रत्नीय पत्थर जिसके खरल और प्याले बनते हैं।
52. सोमरक (SYMREK) लाल रंग का पीलापन लिए।
53. मूसा (MOOSA)- सफेद मटियाले रंग का इसके खरल हैं।
54. टूर (DOOR)-कई रंग का इसके खरल बनते हैं।
55. खारा (KHARA)- काला, हरापन लिए। इसके भी खरल बनाए बनते हैं।
56. मीरखड़ी (GYPSUM)- मिट्टी जैसे वर्ण का इसके खिलौने जाते हैं।
57. पारा जहेर (PAARA ZAHER)- श्वेत बांस जैसा होता है। चाय पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। विषैले घावों के लिए विशेष लाभप्रद है।
58. पनघन (PUNGHAN)- काले रंग का कुछ हरापन लिए होता है।
59. लिलियर (LILIAR)- काले रंग का रत्नीय पत्थर, जिस पर सफेद
60. सोहनमक्सी (SOHAN MAKHEE)- सफेद मिट्टी के समान होता है। मूत्ररोग में लाभकारी है।
61. सुनेहला (CITRINE)- सोने के रंग के समान हल्का होता है।
62. मरियस (MARIUS)- यह सफेद रंग का होता है। इसकी पॉलिश अच्छा होती है।
63. नीली (NELEE)- यह नीलम जाति का है, किंतु नीलम से कुछ नरम एवं कुछ गर्दा लिए होता है।
64. लूधया (LOODHYA)- मजीठ के समान रक्त वर्णीय होता है।
65. स्फटिक (ROCK CRYSTAL)- यह श्वेत बिल्लौर होता है।
66. कहरुवा (AMBER)- यह रक्त वर्णीय होता है। इसकी माला बनती है। यह माणिक्य का उपरत्न है।
67. क्षना (AKSHNA) मटिया वर्ण का होता है। इसमें पानी देने से झड़ जाता है।
68. दांतला (DANTALA)- पीलापन लिए जूता शंख के समान होता है।
69. संगीया (SUNGIA) शंख के समान स्वेत वर्ण का होता है। इसके घड़ी के लकिट बनते हैं।
70. कामला (KAMLAA)- श्वेत व हरापन लिए वर्ण का।
71. गौरी (GOURI)- बहुत से वर्णों का होता है। इस पर श्वेत सूत होता व या है। इसके प्याले तथा जवाहरात तोलने के बांट बनाए जाते हैं।
72. रोमनी (ROMNI)- यह गहरे लाल रंग का तथा कुछ स्थामलता लिए होता है।
73. लालड़ी (LALRI)- गुलाब के पुष्प जैसे वर्ण का होता है और माणिक्य के स्थान पर इसे धारण किया जाता है।
74. लाजवर्त (LOZIS LAZULI)- नीले रंग का नरम पत्थर, जिसे पहले नीलम हो समझा जाता था। इसके श्वेत जर्द दाग होते हैं।
75. दारचना (DARCHANA)- इस रत्नीय पत्थर के अंदर एक श्वेत वर्ण की मुंडी होती है। यह दालचीनी के वर्ण का होता है और माला बनाने के काम आता है।
नोट: इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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