Pitru Paksha Vastu Tips: गणेश उत्सव शनिवार से शुरू हो गए हैं। 17 सितंबर को अनंत चतुर्थी से गणेश उत्सव की समाप्ति हो जाएगी। इसके बाद शुरू हो जाएंगे पितृ पक्ष (Pitru Paksha Vastu Tips in Hindi)।
पितृपक्ष में पितरों की शांति के लिए गया में पिंडदान किया जाता है। जीवन में आ रही कठिनाइयों के लिए पितृदोष भी एक कारण माना जा सकता है। पर अगर आपको भी लगता है कि आपको भी पितृदोष है तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पांडे (8959594400) से कि पितृपक्ष में वास्तु के अनुसार क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
इस दिन से शुरू हो रहे हैं पितृपक्ष
इस वर्ष पितृपक्ष 18 सितंबर से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2024 तक रहेगा।
पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर और पहला श्राद्ध 18 सितंबर को आएगा।
पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र की इन बातों का रखें ध्यान
पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और पितरों की कृपा प्राप्त हो। जानते हैं पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
*घर की सफाई और शुद्धिकरण*
*सफाई*
पितृपक्ष में घर के हर कोने की अच्छी तरह सफाई करें।
खासकर घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) की।
गंदगी और धूल को हटाएं, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत हो सकती है।
*शुद्धिकरण*
घर में गंगा जल या गौमूत्र का छिड़काव करें।
इसके अलावा, धूप, कपूर, या लोबान जलाकर घर में शुद्धि करें।
इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक वातावरण बनता है।
*पितरों का स्थान*
पितरों की तस्वीरें या उनकी पूजा के लिए स्थान घर के उत्तर दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों के लिए शुभ मानी जाती है।
*दीपक और अगरबत्ती*
प्रतिदिन शाम के समय पितरों के स्थान पर दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। इससे वातावरण शुद्ध और सकारात्मक रहता है।
*प्रकाश और वेंटिलेशन*
घर में पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश और हवा का प्रवाह सुनिश्चित करें। घर के अंदरुनी हिस्सों में रोशनी की कमी न होने दें। खासकर पूजा स्थल पर।
*खिड़कियां और दरवाजे*
सुबह और शाम के समय खिड़कियां और दरवाजे खोलें, ताकि ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके।
पितृदोष में ऐसे करें वास्तु दोष निवारण
*दोष मुक्त करें*
घर में यदि कोई वास्तु दोष हो, तो उसे पितृपक्ष के दौरान निवारण करने का प्रयास करें, जैसे कि टूटा हुआ सामान, कूड़ा-कर्कट, या बेकार सामान हटाएं।
*ध्यान केंद्र*
घर में पितरों के लिए एक शुद्ध और शांतिपूर्ण स्थान निर्धारित करें, जहां नियमित रूप से ध्यान, तर्पण, और पूजा की जा सके।
*शांति और साधना का वातावरण*
*शांति बनाए रखें*
घर में शांति और सुकून का माहौल बनाए रखें। परिवार के सदस्यों के बीच विवाद या कलह न होने दें।
*ध्यान और मंत्र जाप*
नियमित रूप से पितरों के लिए मंत्र जाप और ध्यान करें, खासकर ईशान कोण में बैठकर।
*पानी की व्यवस्था*
घर में पानी का स्रोत (जैसे कि नल, टंकी) पवित्र और साफ रखें। पानी का रिसाव या नल का टपकना वास्तु दोष माना जाता है, इसे जल्द ठीक करवाएं।
*पित्रों के लिए तर्पण स्थान*
पितृ पक्ष में तर्पण या पिंडदान करते समय उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी जाती है।
*रसोई में साफ-सफाई*
रसोई घर को साफ रखें और वहां से आने वाले धुएं और गंध को बाहर जाने दें। अन्न को सम्मान दें और श्राद्ध के भोजन में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
*भोजन का दान*
जरूरतमंदों, ब्राह्मणों या गायों को भोजन दान करें। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है।
*सकारात्मक चित्र और प्रतीक*
घर में पवित्र और धार्मिक प्रतीकों (जैसे ॐ, स्वास्तिक) का प्रयोग करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
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