Pitru Paksha 2024: बीते सप्ताह शुरू हुए पितृपक्ष की समाप्ति 2 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या (Pitru Moksha Amavasya) के साथ हो जाएगी।
पितृपक्ष में पितरों के लिए किए जाने तर्पण को लेकर ऐसी मान्यता है कि अपने पूर्वजों का श्राद्ध (Shradha karne ke Niyam) घर का सबसे बड़ा या सबसे छोटा बेटा ही कर सकता है।
जानते हैं ज्योतिषाचार्य से क्या सच में ऐसा होता है या ये केवल एक किवदंती है।
पहला गर्भ होती है पहली संतान
पितरों के श्राद्ध के लिए ऐसा कहा जाता है कि गर्भ की पहली संतान को श्राद्ध करने का अधिकार होता है। मां बाप का पहली संतान से स्नेह ज्यादा होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है कि केवल बड़ा या छोटा बेटा ही श्राद्ध (Shradha ka Adhikar) करे या बिटिया श्राद्ध (Shradh Niyam kya hain) न करें। विशेष परिस्थितियों में ये इन सबका अपवाद भी होता है।
विशेष परिस्थिति में कोई भी कर सकता है श्राद्ध
शास्त्रों के अनुसार बड़े या सबसे छोटे पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है। विशेष परिस्थिति में किसी भी पुत्र द्वारा श्राद्ध किया जा सकता है। श्राद्ध करने से पूर्व स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें।
इसके बाद कुश घास से बनी अंगूठी पहनें। इस कुशा का उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है। पिंड दान के एक भाग के रूप में जौ के आटे, तिल और चावल से बने गोलाकार पिंड को भेंट करें।
पितृपक्ष में क्या न करें ये काम
मांसाहारी भोजन का सेवन बिलकुल न करें।
श्राद्ध कर्म (Pitru Paksha ke Niyam in Hindi) के दौरान आप जनेऊ पहनते हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें।
श्राद्ध कर्म करने वाले को नाखून नहीं काटने चाहिए। उसे दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।
तंबाकू, धूम्रपान सिगरेट या शराब का सेवन न करें। यह श्राद्ध कर्म करने के फलदायक परिणाम को बाधित करता है।
संभव हो सके तो इन दिनों के लिए घर में चप्पल न पहनें।
ऐसा मानते हैं कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितृ किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं। अतः इस दौरान पशु, इंसान का अनादर न
करें। घर आए हर व्यक्ति को भोजन दें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
पितृ पक्ष में कुछ एक भोजन की मनाही है। जिसमें चना, दाल, जीरा, काला नमक, लौकी और खीरा, सरसों का साग आदि शामिल है।
अनुष्ठान के लिए लोहे के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए। जहां तक संभव हो सामर्थ अनुसार सोने, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन का उपयोग करें।
विशेष स्थान पर किया गया श्राद्ध कर्म विशेष फल देता है। कहा जाता है कि गया। प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन पवित्र तीर्थों पर न जा पाएं तो घर के आंगन में पवित्र स्थान पर तर्पण और पिंड दान किया जा सकता है।
श्राद्ध कर्म के लिए काले तिल का उपयोग करें। पिंडदान करते समय तुलसी का उपयोग जरूर करें।
श्राद्ध कर्म शाम, रात, सुबह या सूर्यास्त के बाद नहीं किया जाना चाहिए।
पितृ पक्ष में गायों, कुत्तों, चींटियों और ब्राह्मणों को यथासंभव भोजन कराना चाहिए।
नोट: इस लेख में दी गई सभी सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें।
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