Pitru Paksha 2023: 28 सितंबर को गणेश उत्सव की समाप्ति के बाद 29 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं। 16 दिनी इस श्राद्ध पक्षों की समाप्ति 14 अक्टूबर को पितृ मोक्ष अमावस्या के साथ होगी। आपको बता दें इस दौरान उन लोगों को बाल और नाखून काटने की सख्त मनाही होती है। जो अपने पितरों को तर्पण करते हैं या पितृ के लिए श्राद्ध करते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों किया जाता है। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि विशेषज्ञों के अनुसार पितृ पक्ष में बाल और नाखून क्यों नहीं काटना चाहिए। इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है।
बाल और नाखून न कटवाने का वैज्ञानिक कारण
ज्योतिषाचार्य और रिटायर्ड इंजीनियर अनिल पांडे के अनुसार पितृ पक्ष कोई सुख का त्योहार तो है नहीं इसलिए इन दिनों में दुख व्यक्त करने के लिए बाल और नाखून नहीं काटे जाते। बाल और नाखून न कटवाने से प्रतीत होता है कि हम शोक में हैं यानि ये एक तरह से दुख व्यक्त करने का तरीका है।
बाल और नाखून न कटवाने का धार्मिक कारण
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इसके पीछे जो धार्मिक कारण बताया गया है। उसके मुताबिक नौरात्रि में भगवान की साधना की जाती है। जिस तरह नौरात्रि में बाल और नाखून काटना वर्जित होता है। उसी तरह पितृ देव भी हमारे लिए भगवान स्वरूप हैं। इसलिए इस दौरान भी नाखून और बाल नहीं काटना चाहिए।
पितृ पक्ष का मुहूर्त (Muhurt of Pitru Paksha 2023)
पितृ पक्ष श्राद्ध, पर्व श्राद्ध (पार्वण श्राद्ध) होते हैं और इन्हें करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त होता है। इन दोनों शुभ मुहूर्त के बाद अपराह्न काल समाप्त होने तक भी मुहूर्त चलता है। श्राद्ध के अंत में तर्पण (तर्पण) किया जाता है जिसमें सूर्य की तरफ मुंह करके घास की कुश (डाव) से देते हैं। प्रतिपदा श्राद्ध शुक्रवार 29 सितंबर 2023 से शुरू हैं.
भूल कर भी न करें ये शुभ काम
ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी न करें। इसके अलावा पितृ पक्ष में नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा श्राद्ध का कार्य दिन में करना चाहिए।
पितृ पक्ष 2023 की तिथियां (Pitru Paksha 2023 Tithi)
पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर
प्रतिपदा – 30 सितंबर
द्वितीया , तृतीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर
चतुर्थी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
पंचमी श्राद्ध – 3 अक्टूबर
षष्ठी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
सप्तमी श्राद्ध – 5 अक्टूबर
अष्टमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर
नवमी श्राद्ध – 7 अक्टूबर
खाली श्राद्ध – 8 अक्टूबर
दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर
एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध – 13 अक्टूबर
पितृ पक्ष समाप्त – 14 अक्टूबर
नोट : इस लेख में दी गई सभी सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें।
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