Pitru Paksha 2023: 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के साथ ही गणेश उत्सव समाप्त हो जाएंगे। जिसके बाद पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष की शुरूआत हो जाएगी। इस साल श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से लग रहे हैं। जो 14 अक्टूबर तक चलेंगे। आपको बता दें इस दिन से पितरों के लिए दान और पुण्य कार्य शुरू हो जाएंगे। लोग पितृ देव की शांति के लिए तर्पण करेंगे। पर क्या आप जानते हैं इस दिन तर्पण करने के लिए कुशा का ही उपयोग क्यों किया जाता है। यदि नहीं तो चलिए जानते हैं पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार ऐसा करने के पीछे तर्क क्या है।
भगवान विष्णु का स्वरूप हैं कुशा और तिल
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार यदि कुशा को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जात है। इसी तरह काले तिल में भी विष्णु जी का वास होता है। इसलिए इस दिन कुशा से तर्पण करने पर भगवान विष्णु की उपासना कर पितरों को मोक्ष का मार्ग दिलाया जा सकता है। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो पितर देव आप पर प्रसन्न होकर जल्दी कृपा बरसाते हैं।
इस दिन क्या करें क्या नहीं
पंडित सनत कुमार खम्परिया कहते हैं कि पितृ पक्ष में खरीदारी न करने की धारणा लोगों द्वारा स्वयं बनाई गई है। आज तक किसी शास्त्र में ऐसा वर्णित नहीं है कि इस समय कोई शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए। केवल विवाह संबंधी कार्यों को छोड़कर अन्य सभी तरह के शुभ कार्य इस समय किए जा सकते हैं।
पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए
जल देते समय ध्यान करें और वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद जल जल दें। साथ ही अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें। गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।
पितरों को अंगूठे से ही क्यों देते हैं
श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है। इसमें आपने देखा होगा कि अंगूठे में कुशा लगाकर जलांजलि दी जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के अंगूठे के हिस्से वाले भाग से ही तर्पण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। क्योंकि इस हिस्से को पितृ तीर्थ कहते हैं।
पितृ पक्ष 2023 की तिथियां (Pitru Paksha 2023 Tithi)
पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितंबर
प्रतिपदा 30 सितंबर
द्वितीया , तृतीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर
चतुर्थी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
पंचमी श्राद्ध – 3 अक्टूबर
षष्ठी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
सप्तमी श्राद्ध – 5 अक्टूबर
अष्टमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर
नवमी श्राद्ध – 7 अक्टूबर
खाली श्राद्ध – 8 अक्टूबर
दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर
एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध – 13 अक्टूबर
पितृ पक्ष समाप्त – 14 अक्टूबर
नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी जानकारी को अमल में लाने के पहले विषय विशेषज्ञ की सलाह ले लें।
Vastu Tips: दक्षिण दिशा में बैठकर भोजन करने से क्या होता है, क्या है खाना खाने की सही दिशा
Pitru Paksha 2023: नहीं कर पा रहें हैं पिंडदान, तो ये पौधे लगाकर भी कर सकते हैं पितरों को तृप्त
Pitru Paksha 2023: इस दिन से शुरू हो रहे हैं पितृपक्ष, यहां जानें पितरों को तर्पण करने का सही तरीका
Pitru Paksha 2023: कहीं आपको भी तो नहीं पितृदोष, इन संकेतों से चलता है पता
Pitru Paksha 2023, Pitru Paksha 2023 in hindi, pitru paksha ke niyam, pitru paksha ke niyam, pitru paksha me jal dene ke niyam