Advertisment

Pitra Paksha 2021: श्राद्ध पक्ष शुरू, इन तीन बलियों के बिना अधूरा है श्राद्ध

देवपूजा के पहले पितृपक्ष की पूजा Pitra Paksha 2021 का महत्व अधिक माना जाता है। इसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। कहते है अगर पितृ प्रसन्न होने हैं तो देवता भी स्वत: प्रसन्न हो जाते हैं।

author-image
Preeti Dwivedi
Pitra Paksha 2021: श्राद्ध पक्ष शुरू, इन तीन बलियों के बिना अधूरा है श्राद्ध

नई दिल्ली। देवपूजा के पहले पितृपक्ष की पूजा Pitra Paksha 2021 का महत्व अधिक माना जाता है। इसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। कहते है अगर पितृ प्रसन्न होने हैं तो देवता भी स्वत: प्रसन्न हो जाते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है। मृत्यु के बाद श्राद्ध कर्म करने की भी परंपरा है। पितृ प्रसन्न होकर हमें सफलता का वरदान देते हैं।
मान्यता अनुसार यदि सही तरीके से पितरों का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती। जिस कारण उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है। साथ ही इस दौरान तीन प्रकार की बलि जरूर दी जाती है।
पितृ पक्ष का ज्योतिषीय कारण भी है। जिसके अनुसार पितृ दोष काफी अहम माना जाता है। कुछ ऐसे संकेत होते हैं जिनसे हमें पता चलता है कि पितृ दोष से पीड़ित तो नहीं हैं। सफलता मिलते—मिलते रह जाती है। हर कार्य में रूकावटें आने लगती हैं। संतान उत्पत्ति में परेशानियां आ रही हों, आर्थिक हानि हो रही हों। तो ज्योतिष शास्त्र में इन संकेतों को पितृदोष की ओर इशारा माना जाता है। इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये भी पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है।

Advertisment

क्या हैं ये बलि
​ज्योतिषाचार्य पंडित सनत कुमार खम्परिया के अनुसार पितृ पक्ष में काक बलि, स्वान बलि और गौ बलि का विशेष महत्व है। यानि इस दौरान गाय, कुत्ते और कौए को पहला भोजन जरूर निकालना चाहिए। इससे हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार इन बलियों के बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है।

ध्यान रखे इन बातों का
ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। उन्हें खुश करने के लिए ही तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान होता है। इन्हें करना इसलिए भी जरूरी होता है ​क्योंकि पूर्वजों को उनके इष्ट लोकों को पार करने में मदद मिलती है। ऐसे में जो लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं करते हैं उन्हें ही पितृ ऋण और पितृदोष लगता है। जहां तक संभव हो सके श्राद्धपक्ष के दौरान अपने पितरों का श्राद्ध करें।

विशेष परिस्थिति में कोई भी कर सकता है श्राद्ध
शास्त्रों के अनुसार बड़े या सबसे छोटे पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है। विशेष परिस्थिति में किसी भी पुत्र द्वारा श्राद्ध किया जा सकता है। श्राद्ध करने से पूर्व स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद कुश घास से बनी अंगूठी पहनें। इस कुशा का उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है। पिंड दान के एक भाग के रूप में जौ के आटे, तिल और चावल से बने गोलाकार पिंड को भेंट करें।

Advertisment

बलि दें जरूर दें।
शास्त्रसम्मत मान्यता यही है कि किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिये। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिये भी भोजन का एक अंश जरुर डालना चाहिये।

न करें ये काम
—  मांसाहारी भोजन का सेवन बिलकुल न करें।
— श्राद्ध कर्म के दौरान आप जनेऊ पहनते हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं
की जगह दाएं कंधे पर रखें।
— श्राद्ध कर्म करने वाले को नाखून नहीं काटने चाहिए। उसे दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।
— तंबाकू, धूम्रपान सिगरेट या शराब का सेवन न करें। यह श्राद्ध कर्म करने के फलदायक परिणाम को बाधित करता है।
— संभव हो सके तो इन दिनों के लिए घर में चप्पल न पहनें।
— ऐसा मानते हैं ​कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितृ किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं। अत: इस दौरान पशु, इंसान का अनादर न करें। बल्कि, घर आए हर व्यक्ति को भोजन दें।
— ब्रह्मचर्य का पालन करें।
— पितृ पक्ष में कुछ एक भोजन की मनाही है। जिसमें चना, दाल, जीरा, काला नमक, लौकी और खीरा, सरसों का साग आदि शामिल है।
— अनुष्ठान के लिए लोहे के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए। जहां तक संभव हो सामर्थ अनुसार सोने, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन का उपयोग करें।
— विशेष स्थान पर किया गया श्राद्ध कर्म विशेष फल देता है। कहा जाता है कि गया, प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की  प्राप्ति होती है। इन पवित्र तीर्थों पर न जा पाएं तो घर के आंगन में पवित्र स्थान पर तर्पण और पिंड दान किया जा सकता है।

— श्राद्ध कर्म के लिए काले तिल का उपयोग करें। पिंडदान करते समय तुलसी का उपयोग जरूर करें।
— श्राद्ध कर्म शाम, रात, सुबह या सूर्यास्त के बाद नहीं किया जाना चाहिए।
पितृ पक्ष में गायों, कुत्तों, चींटियों और ब्राह्मणों को यथासंभव भोजन कराना चाहिए।

Advertisment
Bansal News bansal mp news bansal news today Hindi News Channel MP MP Live News Hindi mp news hindi bansal mp news today Shradh 2021 shradh 2021 end date shradh 2021 start date "shradh 2021 date" kak bali on pitra paksha kisko karna chahiye shradh kya na karen in dinon swan bali in pitra paksha
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें