नई दिल्ली। देश में लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। आने वाले दिनों में भी लोगों को महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्ध का सिलसिला जारी है। साथ ही राहत देने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कोई सहमति भी नहीं बन पा रही है। यहां तक कि भाजपा शासित राज्य भी केंद्र के सुझाव को मानने को तैयार नहीं है। राज्यों की मांग है कि पहले केंद्र उत्पाद शुल्क में कटौती करे। लेकिन केंद्र को डर है कि अगर उसने अपने स्तर पर एक बार शुल्क घटा दिया तो राज्य फिर अपने वादे से मुकर सकते हैं।
आगे और बढ़ सकते हैं कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पेट्रोलियन मंत्रालय और भारत सरकार तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) के साथ लगातार संपर्क में है। लेकिन क्रूड ऑयल को लेकर बात नहीं बन रही है। वहीं भारत ने हाल ही में अमेरिका से तेल खरीदना शुरू किया है। लेकिन अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमते हाल के दिनों में काफी तेजी से बढ़ा है। आगे कीमत के और बढ़ने की संभावना है। ऐसे में आम जनता को राहत मिलती नहीं दिख रही है।
अगर सरकार करे ये काम तो मिल सकती है राहत
जनता को राहत तभी मिलेगी जब केंद्र और राज्यों की तरफ से लगाये जाने वाले टैक्स की दरों में कमी हो। सूत्रों के मुताबिक शुल्क घटाने को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच भरोसा कायम नहीं हो पा रहा है। केंद्र की तरफ से इस मुद्दे को अलग अलग स्तर पर राज्यों से उठाया जा रहा है लेकिन राज्य यह कह रहे हैं कि पहले केंद्र सरकार की तरफ से पहल हो। जबकि केंद्र का यह मानना है कि अगर उसने शुल्क घटा दी तो राज्य फिर वैट की दरों को नहीं घटाएंगे।
कोरोना की वजह से राजस्व में आई कमी
वहीं राज्यों की तरफ से कोरोना की वजह से राजस्व संग्रह के दूसरे संसाधनों के सूख जाने का भी हवाला दिया जा रहा है। पेट्रोल और डीजल पर राज्यों को पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में मूल्य वर्द्धित कर से कुल 1,35,693 करोड़ रुपये की राशि मिली थी। जबकि केंद्र सरकार को उत्पाद शुल्क व दूसरे शुल्कों की वजह से अप्रैल से दिसंबर, 2021 की अवधि में 2,63,351 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। चालू वित्त वर्ष में केंद्र और राज्यों को पेट्रो क्षेत्र से हासिल राजस्व में काफी इजाफा होने के आसार हैं।